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Up Kiran, Digital Desk: एक तारीख जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो गई। विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी एक ऐसे समय में जब लाखों लोग मानते थे कि वो अभी दो साल और आसानी से खेल सकते थे।

उनके रिटायरमेंट ने जितना भावनात्मक असर छोड़ा उतना ही कई सवालों और थ्योरीज़ को भी जन्म दिया। क्या यह थकान थी? क्या यह इंग्लैंड दौरे से पहले रणनीतिक निर्णय था या फिर कुछ ऐसा जो विराट कोहली की सोच और आदर्शों से जुड़ा था।

इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की है इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और दिग्गज कमेंटेटर नासिर हुसैन ने जिन्होंने कोहली के अचानक लिए गए फैसले के पीछे का एक गहरा और प्रेरणात्मक कारण सामने रखा।

स्काई स्पोर्ट्स क्रिकेट पॉडकास्ट में नासिर हुसैन ने कहा कि मैं पिछले 14 सालों से विराट कोहली का बहुत बड़ा फैन रहा हूं। उनके आंकड़े अपने आप में सब कुछ कहते हैं लेकिन वह इससे कहीं ज़्यादा थे – उनका ऑरा उनकी आंखों की आग और मैदान पर उनका जुनून यही उन्हें खास बनाता है।

नासिर ने कोहली के रिटायरमेंट पर जो टिप्पणी की वो एक नई थ्योरी को जन्म देती है कि कोहली मैदान पर 100% नहीं दे सकता तो वह मैदान पर रहना ही नहीं चाहता। वह सिर्फ एक ऐसा क्रिकेटर नहीं बनना चाहता जो 20-30 रन बनाए और चलता रहे।

कोहली और “औसत” का संघर्ष

कोहली कभी भी औसत प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी नहीं रहे। जब वह मैदान पर उतरते थे तो या तो शतक बनाते थे या फिर गुस्से में लौटते थे खुद से नाराज़ होकर।

उनके लिए क्रिकेट केवल स्कोरबोर्ड का खेल नहीं था – ये सम्मान और उद्देश्य का मैदान था। और शायद यही वजह है कि नासिर के अनुसार कोहली को लगने लगा कि अगर वह हर दिन अपनी पिछली लय नहीं पा सकते तो यह समय है पीछे हटने का। उन्होंने कहा कि  कोहली वो इंसान हैं जो अगर खुद से संतुष्ट नहीं हैं तो रुकना पसंद करते हैं। वह सिर्फ रुकने के लिए नहीं खेलते।

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