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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए हैं। लंबे समय बाद संगठन में उनकी वापसी से राजनीति में हलचल मच गई है। सवाल उठ रहा है – क्या इससे तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की राह अब पहले से आसान हो जाएगी?

लालू यादव लंबे समय से बीमार हैं और चारा घोटाले में सजा के कारण सक्रिय राजनीति से दूर रहे हैं। लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की मांग पर उन्हें फिर से अध्यक्ष चुना गया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और पार्टी को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।

तेजस्वी यादव अब पार्टी का चेहरा हैं और विपक्ष के नेता भी। उनके पास युवाओं का समर्थन है, लेकिन संगठन में लालू यादव की पकड़ और राजनीतिक अनुभव की कमी महसूस की जा रही थी। ऐसे में लालू की वापसी पार्टी को एकजुट रखने और जातीय समीकरण साधने में मदद कर सकती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू के अध्यक्ष बनने से तेजस्वी को एक मजबूत छाया मिल गई है। वह अब चुनावी रणनीति पर फोकस कर सकते हैं, जबकि लालू यादव संगठन और पुराने नेताओं को साथ जोड़ने का काम करेंगे।

हालांकि लालू यादव की सेहत और कानूनी सीमाएं उनके सक्रिय दखल पर असर डाल सकती हैं, लेकिन उनका नाम और राजनीतिक समझ आज भी पार्टी की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है।

अब देखना होगा कि क्या लालू-तेजस्वी की यह नई जोड़ी RJD को 2025 में सत्ता की ओर ले जा पाएगी या नहीं। फिलहाल इतना तय है कि लालू यादव की वापसी से पार्टी में जोश जरूर लौटा है।

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