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Up Kiran, Digital Desk: फ्रांस की राजनीति ने हाल ही में एक ऐसी करवट ली है, जिसने राजनैतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। कुछ ही दिन पहले राजनीतिक अस्थिरता (Political Instability) के कारण अपने पद से इस्तीफा देने वाले प्रधानमंत्री सेबस्टियन लेकोर्नू (Sebastien Lecornu) को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) ने एक बार फिर प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त कर दिया है। यह फैसला एक बार फिर फ़्रांस की सियासत की अस्थिरता की कहानी कहता है।

क्या था राजनीतिक उथल-पुथल का कारण: असल में, फ़्रांस की नेशनल असेंबली (वहाँ की संसद) में राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी बहुमत (Majority) में नहीं है। इस वजह से कानूनों को पास कराने और महत्वपूर्ण फैसले लेने में लगातार दिक्कतें आ रही थीं। ऐसे हालात में सरकार पर बहुत दबाव होता है, और इसी वजह से प्रधानमंत्री सेबस्टियन लेकोर्नू को कुछ दिन पहले इस्तीफा देना पड़ा था।

लेकिन, इस्तीफा देने के ठीक कुछ दिनों बाद ही राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यह फैसला किया कि मौजूदा राजनीतिक हालात में कोई नया चेहरा लाने की बजाए, अनुभवी लेकोर्नू को ही फिर से जिम्मेदारी सौंप दी जाए। यह फैसला अस्थिरता को कम करने और निरंतरता (Continuity) बनाए रखने की रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है।

मैक्रों की रणनीति क्या है: राजनीतिक जानकार बताते हैं कि मैक्रों को फ़िलहाल कोई भी ऐसा विश्वसनीय विकल्प नहीं मिला, जो इस अस्थिर माहौल में सरकार को संभाल सके और विपक्षी दलों (Opposition Parties) के सामने मजबूत से खड़ा हो सके। इसलिए, उन्होंने एक तरह से 'पुरानी शराब, नई बोतल' वाली रणनीति अपनाई है। सेबस्टियन लेकोर्नू की दोबारा नियुक्ति मैक्रों के उस प्रयास को दर्शाती है, जहाँ वह अपनी सरकार में भरोसे और अनुभवी हाथों पर निर्भर रहना चाहते हैं।