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Up Kiran, Digital Desk: शिक्षा को हर किसी तक पहुँचाने के मकसद से बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (BIMTECH) में पांच दिनों का एक ख़ास वर्कशॉप आयोजित किया गया. "Train the Trainer" नाम के इस वर्कशॉप में स्पेन, ऑस्ट्रिया, लातविया, नेपाल और भारत के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि हायर एजुकेशन को और ज़्यादा समावेशी (inclusive) और सुलभ (accessible) कैसे बनाया जाए, ताकि किसी भी तरह की अक्षमता या अलग बैकग्राउंड के छात्र पीछे न रह जाएं.

क्या थीं वर्कशॉप की ख़ास बातें?

इस वर्कशॉप में कई ज़रूरी विषयों पर बात हुई. इसमें "अक्षमता और समावेश को समझना," "समावेश के लिए संवैधानिक मूल्य" और "विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन" जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा हुई. साथ ही, भारत और नेपाल के हायर एजुकेशन संस्थानों में समावेश को लेकर क्या हो रहा है, इस पर भी ध्यान दिया गया.

विशेषज्ञों ने सिखाया कि कैसे सभी के लिए एक जैसा और सुलभ लर्निंग मॉडल बनाया जा सकता है और डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके कैसे शिक्षा में बराबरी लाई जा सकती है.

सबके लिए एक जैसा डिज़ाइन

वर्कशॉप का एक मुख्य आकर्षण "यूनिवर्सल डिज़ाइन फॉर लर्निंग" (UDL) था. इसमें सिखाया गया कि पढ़ाई के तरीकों को कैसे ऐसा बनाया जाए कि हर तरह के छात्र आसानी से सीख सकें, चाहे उनका बैकग्राउंड कुछ भी हो. इसके अलावा, जेनरेटिव AI जैसी नई तकनीकों को पढ़ाई में कैसे सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, इस पर भी एक ख़ास सेशन हुआ, ताकि पढ़ाई और भी मज़ेदार और सुलभ बन सके.

इस कार्यक्रम में स्पेन और दूसरे यूरोपीय देशों के अच्छे उदाहरण भी पेश किए गए, जिस पर यह चर्चा हुई कि उन्हें भारत और नेपाल में कैसे लागू किया जा सकता है. कुल मिलाकर, इस वर्कशॉप का मकसद शिक्षकों को नई सोच और तकनीक से लैस करना था, ताकि हायर एजुकेशन का दरवाज़ा हर किसी के लिए खुल सके.