How Lebanon became a Muslim country: इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच जारी संघर्ष और तेज हो गया है। इजराइल लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर निरंतर हवाई हमले कर रहा है। मगर, इसका असर लेबनान में रहने वाले आम लोगों पर पड़ रहा है। इजराइल के हमलों में हिजबुल्लाह आतंकियों के अलावा कई नागरिक भी मारे जा रहे हैं।
शुक्रवार को लेबनान में इजरायली हवाई हमले में हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर हसन नसरल्लाह की मौत हो गई। हसन नसरल्लाह की मौत के बाद संघर्ष ख़त्म होने की उम्मीद थी, मगर उनकी मौत के बाद से संघर्ष और तेज़ हो गया है। इजराइल निरंतर लेबनान पर बमबारी कर रहा है। ये झगड़ा कब थमेगा कोई नहीं जानता। इस बीच, लेबनान में इज़राइल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष का कारण वास्तव में क्या है?
इजराइल-हिजबुल्लाह संघर्ष का कारण
इज़राइल और फ़िलिस्तीन वर्षों से संघर्ष में हैं। हिजबुल्लाह इजरायल को अपना दुश्मन मानता है क्योंकि वह फिलिस्तीन समर्थक है। साथ ही इजराइल आरोप लगाता रहा है कि हिजबुल्लाह शुरू से ही हमारी सीमा पर निरंतर हमले करता रहा है। मगर, इस झगड़े की जड़ दोनों देशों का धर्म है। ये दोनों देश अपने धर्म की श्रेष्ठता सिद्ध करना चाहते हैं। इजराइल यहूदी धर्म के लिए लड़ने का दावा करता है, जबकि हिजबुल्लाह इस्लाम के लिए लड़ रहा है।
धर्म की सर्वोच्चता के लिए संघर्ष
इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले 100 वर्षों से इस बात को लेकर संघर्ष चल रहा है कि किस धर्म का वर्चस्व हो। 1920 में लेबनान में लगभग 75-80 प्रतिशत ईसाई थे। मगर फ्रांस से आजादी के बाद जनसंख्या संरचना में बदलाव आना शुरू हो गया। फिलिस्तीन और सीरिया से भारी तादाद में शरणार्थी देश में प्रवेश करने लगे। सत्ता के बंटवारे को लेकर ईसाइयों, सुन्नी मुसलमानों और शियाओं के बीच आपसी युद्ध था।
गृहयुद्ध ने लेबनान की बदल दी सूरत
1975 से 1990 तक देश ने सत्ता पर वर्चस्व के लिए गृह युद्ध देखा। इस गृह युद्ध ने लेबनान को पूरी तरह से बदल दिया। ईसाई और मुस्लिम वर्चस्व के बीच हुए इस गृहयुद्ध में एक लाख ईसाई मारे गए और लगभग दस लाख ईसाई देश छोड़कर भाग गए। जब देश में गृहयुद्ध छिड़ा तो 50 प्रतिशत ईसाई और लगभग 37 प्रतिशत मुसलमान थे। गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद 47 प्रतिशत ईसाई और 53 प्रतिशत मुसलमान बन गए। इस समय लेबनान में लगभग 15 प्रतिशत ईसाई हैं, जबकि 85 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
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