
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार की राजनीति में रमजान का महीना सिर्फ इबादत का समय नहीं बल्कि सियासी जोड़-तोड़ का मौका भी बन गया है। इफ्तार पार्टियों का दौर शुरू हो चुका है और हर राजनीतिक दल इस पवित्र महीने को अपने हक में भुनाने की कोशिश में जुटा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से लेकर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान तक सभी ने इफ्तार पार्टियों के जरिए वोटरों को लुभाने का दांव खेला है। मगर इस बार बाजी मारने की होड़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक चला है, जिसने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
भाजपा ने ऐलान किया है कि वह ईद के मौके पर बिहार के 32 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को "सौगात-ए-मोदी" किट बांटेगी। इस किट में सेवइयां, ड्राई फ्रूट्स, खजूर, चीनी, महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा जैसी चीजें शामिल होंगी। पार्टी का अल्पसंख्यक मोर्चा 32,000 मस्जिदों के जरिए इस योजना को अमलीजामा पहनाएगा। ये कदम साफ तौर पर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया गया है। यहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बिहार की कुल आबादी में करीब 17.7% मुसलमान हैं और इनका वोट किसी भी दल की हार-जीत तय कर सकता है।
RJD और AIMIM को लगेगा करारा झटका
भाजपा का ये कदम न सिर्फ सामाजिक समरसता का संदेश देता है बल्कि उसकी चुनावी रणनीति का भी हिस्सा है। पार्टी लंबे समय से मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक रूप से आरजेडी और जदयू जैसे दलों के साथ रहा है।
इफ्तार पार्टियों का आयोजन कोई नई बात नहीं है। लालू यादव ने हमेशा अपने "मुस्लिम-यादव" (एम-वाई) समीकरण को मजबूत करने के लिए रमजान के दौरान दावत-ए-इफ्तार का सहारा लिया है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं। 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल की 5 सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी दर्ज की थी, मगर बाद में उनके 4 विधायक आरजेडी में चले गए। अब भाजपा की यह पहल ओवैसी के मुस्लिम वोट बैंक को कमजोर कर सकती है।
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