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Up Kiran, Digital Desk: भारत और चीन के बीच पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण चल रहे द्विपक्षीय संबंधों में नरमी के संकेत मिल रहे हैं। इसी कड़ी में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार शाम को नई दिल्ली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इसकी पुष्टि की है। यह तीन वर्षों में वांग यी की भारत की पहली यात्रा है और यह ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देश अपने संबंधों को सामान्य करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे हैं।

मीटिंग का एजेंडा और महत्व

प्रधानमंत्री मोदी और वांग यी के बीच यह महत्वपूर्ण बैठक शाम 5:30 बजे प्रधानमंत्री आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर होगी। इस मुलाकात का एजेंडा व्यापक है, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने, सीमा पर अमन-चैन बनाए रखने और व्यापारिक चिंताओं को दूर करने जैसे मुद्दे शामिल हैं।

चीन की चिंताओं पर सहमति

मुलाकात से पहले, चीन ने भारत की तीन प्रमुख चिंताओं पर सहमति जताई है। सूत्रों के अनुसार, चीन नई दिल्ली को दुर्लभ पृथ्वी खनिज (rare earth minerals), उर्वरक (fertilizers) और टनल बोरिंग मशीन (tunnel boring machines) की आपूर्ति पर बीजिंग द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने पर सहमत हो गया है। यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ पृथ्वी खनिज उत्पादक है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

जयशंकर-वांग यी की सोमवार की वार्ता

इससे पहले, सोमवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात की। जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों में "कठिन दौर" के बाद आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "मतभेदों को विवाद नहीं बनना चाहिए, और न ही प्रतिस्पर्धा संघर्ष।" विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत-चीन के स्थिर और रचनात्मक संबंध न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद हैं।

SCO शिखर सम्मेलन और शी जिनपिंग से मुलाकात की संभावना

यह मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी की चीन की नियोजित यात्रा से कुछ ही दिन पहले हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाने वाले हैं, जहाँ उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात हो सकती है। यदि यह मुलाकात होती है, तो यह सात वर्षों में मोदी की चीन की पहली यात्रा होगी।

संबंधों में नरमी के संकेत

2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़पों के बाद दोनों एशियाई शक्तियों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए थे। हालाँकि, हाल के घटनाक्रम, जैसे कि चीन द्वारा यूरिया निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देना, चीनी नागरिकों के लिए भारत द्वारा पर्यटक वीज़ा फिर से शुरू करना, और भारतीय कंपनियों द्वारा चीनी कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी की खोज, संबंधों में नरमी का संकेत दे रहे हैं।

अमेरिका-भारत संबंधों में तनाव का संदर्भ

वांग यी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंधों में भी तनाव बढ़ रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय सामानों पर टैरिफ दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है और रूसी तेल की खरीद पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया है।

चीन की भूमिका और दुर्लभ पृथ्वी खनिज

चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा दुर्लभ पृथ्वी खनिज भंडार है और वह वैश्विक उत्पादन का लगभग 60-70% हिस्सा नियंत्रित करता है। ये 17 धात्विक तत्व उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। चीन न केवल इन खनिजों का खनन करता है, बल्कि शोधन और प्रसंस्करण क्षमता का भी बड़ा हिस्सा नियंत्रित करता है, जिससे उसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में महत्वपूर्ण लाभ मिलता है।

चीन का बहुध्रुवीयता पर जोर

चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान में वांग यी के हवाले से कहा गया कि वैश्विक स्तर पर "एकतरफा दादागिरी" के बढ़ते चलन को देखते हुए, बीजिंग और नई दिल्ली को बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे को “प्रतिद्वंद्वियों या खतरों के रूप में नहीं, बल्कि साझेदारों और अवसरों के रूप में देखना चाहिए।”

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