_805893764.png)
Up Kiran, Digital Desk: हिंदू धर्म में शिव जी की पूजा का अपना एक विशेष महत्व है और शिवलिंग पर जल, दूध, दही या बेलपत्र चढ़ाना एक सदियों पुरानी परंपरा रही है। क्या आपने कभी सोचा है कि शिव को ये सभी ठंडी वस्तुएं ही क्यों अर्पित की जाती हैं? इसके पीछे सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि कुछ गहरे आध्यात्मिक और पौराणिक कारण भी जुड़े हैं। आइए, आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाते हैं।
शिव की 'उग्र ऊर्जा' और शांति का प्रतीक
शिवलिंग को शिव जी का ही प्रतीक माना जाता है, जो सृष्टि के संहारक और योगी रूप में प्रतिष्ठित हैं। मान्यता है कि शिव की ऊर्जा अत्यंत उग्र और शक्तिशाली है। इस उग्र ऊर्जा को शांत करने और उसे संतुलित करने के लिए ही ठंडी प्रकृति की वस्तुएं जैसे दूध, दही, जल, बेलपत्र और गन्ने का रस अर्पित किए जाते हैं। ऐसा करने से न केवल शिव प्रसन्न होते हैं, बल्कि भक्तों को भी आंतरिक शांति और स्थिरता की अनुभूति होती है। यह शिव और भक्त के बीच एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है।
समुद्र मंथन से जुड़ा है ये पौराणिक प्रसंग
इस परंपरा के पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा भी है, जिसका जिक्र शिव पुराण में मिलता है। कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान 'हलाहल' नामक भयंकर विष निकला, तो पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। इस विष के प्रभाव से सभी देवी-देवता और प्राणी त्राहि-त्राहि कर उठे। तब शिव जी ने संसार की रक्षा के लिए उस विष का पान कर लिया। विष के प्रभाव से शिव का कंठ नीला पड़ गया और उनके शरीर में तीव्र उष्णता (गर्मी) उत्पन्न हो गई।
इस गर्मी को शांत करने और शिव को राहत देने के लिए, देवताओं ने उन्हें ठंडा दूध और जल अर्पित किया। कहते हैं, तभी से शिवलिंग पर ठंडी वस्तुएं चढ़ाने की यह पवित्र परंपरा शुरू हुई, जो आज भी अनवरत जारी है।
बेलपत्र: त्रिदेवों का प्रतीक और मानसिक शांति का स्रोत
बेलपत्र का अपना एक विशेष स्थान है। इसका शांत स्वभाव शिव जी को अत्यंत प्रिय है। बेलपत्र की तीन पत्तियां भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी त्रिदेवों का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है।
क्या नहीं चढ़ाना चाहिए शिवलिंग पर
पूजा-अर्चना में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसलिए, शिवलिंग पर कुछ चीज़ें अर्पित करने से बचना चाहिए। इनमें टूटा हुआ बेलपत्र, गंदा पानी या बासी वस्तुएं शामिल हैं। यह जानकारी विभिन्न धार्मिक मान्यताओं, शास्त्रों और मीडिया स्रोतों पर आधारित है।
--Advertisement--