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28 मई को भारत को नया संसद भवन मिलने जा रहा है। यह नया संसद भवन जितना ही विशाल और आधुनिक फीचर्स से लैस है। इसके निर्माण की कहानी भी उतनी ही अनूठी है। लोकतंत्र के इस मंदिर के निर्माण में देश के अलग अलग राज्यों से निर्माण सामग्री मंगवाई गई है। अगर हम यह कहें कि संसद भवन की यह नई इमारत एक भारत, श्रेष्ठ भारत का बेहतरीन प्रमाण है तो कुछ गलत नहीं होगा।
क्या आप जानते हैं कि इसके निर्माण में इस्तेमाल पत्थर, लकड़ी से लेकर साज सज्जा में लगने वाले सामान को देश के खास शहरों से मंगवाया गया है, जहां इनकी बेहतरीन किस्में पाई जाती हैं। इसके निर्माण में पूर्व के त्रिपुरा से लेकर पश्चिम के दमनदीप तक की भागीदारी है।
जैसे नई संसद में लकड़ी का जितना भी काम हुआ है, उसमें नागपुर के टीक रूप का इस्तेमाल हुआ है। नागपुर में देश के सबसे बेहतरीन सागौन की लकड़ी मिलती है। सागौन को साधारण भाषा में सागवान भी कहते हैं।
आप भी जब फर्नीचर लेने जाते हैं तो कारीगर सबसे पहले सागवान की लकड़ी सामान का जिक्र करता है। अब अगर निर्माण में इस्तेमाल सैंड स्टोन यानी की बलुआ पत्थर की बात की जाए तो राजस्थान के मुथरा से मंगवाया गया है। राजस्थान के धौलपुर जिले का सैंड स्टोन बेहतरीन माना जाता है। इसके साथ ही पत्थर की जाली का भी काम राजस्थान के कारीगरों के द्वारा ही किया गया है। राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ और यूपी के नोएडा से इसे मंगवाया गया है। संसद भवन में लगने वाला अशोक प्रतीक भी राजस्थान के जयपुर और महाराष्ट्र के औरंगाबाद से मंगवाया गया है। वहीं भव्य अशोक चक्र मध्यप्रदेश के इंदौर से लिया गया है।
अब आगे भवन की नक्काशी और पत्थर की सजावट की बात करें तो यह काम भी राजस्थान के संगमरमर पर किया गया है। अम्बाजी से सफेद संगमरमर के पत्थर खरीदे गए और उसे सजाने के लिए लाल ब्लॉक जैसलमेर से लिया गया। नक्काशी का काम आबू रोड और उदयपुर के कारीगरों से किया गया। सजावट में लगा कुछ पत्थर कोटपुतली से तो वहीं केसरिया और ग्रीन स्टोन उदयपुर का है। निर्माण में इस्तेमाल एम्स को हरियाणा के चकरी दादरी और फ्लाई एश ब्रिक्स को एनसीआर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से खरीदा गया।
संसद में हुआ मिर्जापुर की कालीन का इस्तेमाल
अब संसद भवन की सजावट की बात करें तो उसमें लगने वाला कारपेट यानी कालीन यूपी के मिर्जापुर से मंगाया गया है। भारत में मिर्जापुर बेहतरीन कालीनों के लिए मशहूर है। इसके साथ संसद की वुडन फ्लोरिंग की बात करें तो यह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला की बांस की लकड़ी से बनी हुई है। नई संसद भवन के लिए कुछ फर्नीचर मुंबई से भी मंगाए गए।
इसके अलावा संसद भवन में जितना भी ब्रास वर्क और प्री कास्ट ब्रिज का काम हुआ है, वह गुजरात के अहमदाबाद के कारीगरों से किया गया है। लोकसभा और राज्यसभा की फाल्स सीलिंग स्टील संरचना, दमन और दीव से ली गई है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई यानी की रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ऐतिहासिक राजदंड सिंह गोल्ड को भी संसद में स्थापित करेंगे, जिसे वह लोकसभा अध्यक्ष के आसन के ठीक सामने रखा जाएगा।