Up Kiran, Digital Desk: भारत ने एशिया कप 2025 का खिताब अपने नाम करके एक बार फिर दिखा दिया कि एशियाई क्रिकेट में उसका सिक्का चलता है। फाइनल मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को हराकर न सिर्फ ट्रॉफी उठाई, बल्कि करोड़ों क्रिकेट फैंस का दिल भी जीत लिया।
तिलक वर्मा की धमाकेदार पारी ने पलटा मैच का रुख
इस रोमांचक मुकाबले में तिलक वर्मा सबसे बड़े हीरो बनकर सामने आए। उन्होंने आख़िर तक नाबाद रहते हुए 53 गेंदों पर 69 रन बनाए और टीम को जीत की मंज़िल तक पहुंचाया। उनके इस शानदार प्रदर्शन पर उन्हें 'प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब मिला, और साथ में वो बड़ा सा चेक भी... लेकिन क्या वो असली होता है?
जो चेक स्टेज पर दिखता है, वो बैंक में नहीं चलता!
मैच खत्म होते ही जो रंगीन और विशाल चेक खिलाड़ियों को दिया जाता है, वो सिर्फ दिखावे के लिए होता है। उस पर स्पॉन्सर का लोगो और इनाम की रकम जरूर होती है, लेकिन उसे न बैंक में जमा किया जा सकता है और न ही कैश करवाया जा सकता है। असल में ये सिर्फ कैमरों और मीडिया के लिए होता है, ताकि ब्रांड की पब्लिसिटी हो सके।
असल इनाम कहां और कैसे पहुंचता है?
अब सवाल ये उठता है कि खिलाड़ी को असली इनाम कब और कैसे मिलता है? इसका जवाब है—सीधे बैंक अकाउंट में। स्पॉन्सर या आयोजक संस्था, जैसे बीसीसीआई, खिलाड़ी के बैंक खाते में तय राशि ट्रांसफर कर देती है। यह पूरा प्रोसेस इलेक्ट्रॉनिक होता है, जिससे न सिर्फ ट्रांसफर तेज़ होता है, बल्कि सुरक्षित भी रहता है।
टैक्स काटने के बाद ही मिलती है रकम, जानिए क्यों
खिलाड़ी को मिलने वाला कोई भी इनाम ‘टैक्सेबल इनकम’ की कैटेगरी में आता है। इसका मतलब ये हुआ कि BCCI इनाम की रकम पर टैक्स काटकर ही उसे ट्रांसफर करता है। TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) लागू होता है और सरकार के नियमों के मुताबिक पूरा पेमेंट किया जाता है।
हर टूर्नामेंट में नहीं होता एक जैसा इनाम देने का तरीका
बड़े टूर्नामेंट जैसे एशिया कप, आईपीएल या आईसीसी इवेंट्स में पेमेंट प्रोसेस काफी प्रोफेशनल होती है। स्पॉन्सर और बोर्ड इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि हर चीज़ पारदर्शी और नियमों के अनुसार हो। लेकिन छोटे या घरेलू टूर्नामेंट में इनाम देने का तरीका अलग भी हो सकता है। फिर भी आजकल ज़्यादातर टूर्नामेंट में ऑनलाइन बैंक ट्रांसफर का ही इस्तेमाल किया जाता है।



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