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Up  Kiran , Digital  Desk:  1970 के दशक में अगर हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और मूर्तिधारी अभिनेत्रियों की बात की जाए तो सबसे ऊपर आता है चावला-बैटरी का नाम। मूल रूप से पश्चिम बंगाल से भंडारा वाली बालाजी ने अपने करियर की शुरुआत 16 साल की उम्र में बंगाली फिल्म 'बालिका बहू' (1967) से की थी।

1972 में उन्होंने हिंदी सिनेमा में 'अनुराग' फिल्म से कदम रखा।

उनकी शानदार स्टाइलिस्ट के लिए उन्हें फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए नामांकन मिला।

फिल्म 'अनुराग' ने बेस्ट पिक्चर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीता।

इसके बाद 'रोटी कपड़ा और मकान', 'हमशक्ल', 'भोला भाला', 'प्रेम बंधन', 'घर परिवार' जैसी फिल्मों में उनके अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया।

शादी के बाद भी चमका फिल्मी कलाकार
चटर्जी चटर्जी ने बहुत कम उम्र में शादी कर ली थी, जब वह सिर्फ 10वीं क्लास में पढ़ती थीं।

उन्होंने दिग्गज संगीतकार माइकल कुमार के बेटे और फिल्म निर्माता जयंती मुखर्जी से शादी की।

उस दौर में शादी के बाद फिल्मी सितारों ने बहुत बड़ी चुनौती रखी, लेकिन लक्ष्मी ने इस रुधिवादिता को तोड़ते हुए बॉलीवुड में अपनी एक अलग जगह बना ली।

खन्ना, शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, जीतेन्द्र जैसे बड़े सितारों के साथ उनकी जोड़ी राजेश को खूब पसंद आई। 'बेनाम' और 'मंजिल' जैसी फिल्मों में उन्होंने अमिताभ बच्चन की स्क्रीन शेयर कर दर्शकों को अपना फैन बना लिया।

पर्सनल लाइफ में छाया दर्द का साया
जहां चटर्जी के प्रोफेशनल आर्टिस्ट सितारों की तरह चमकते हैं, वहीं उनकी निजी जिंदगी में कई झलकियां- उभरते रह रहे हैं।

विश्वनाथ और मुखर्जी की दो बेटियाँ हैं: पिलाई और मेघा।

प्लाइ सिन्ना जुवेनाइल वॉर्न्स से लंबे समय तक स्कॉटलैंड तक।

अप्रैल 2018 में पायल कोमा में चली गईं और कुछ समय बाद उनकी पत्नी डिकी उन्हें अपने घर ले गईं। इस बीच आरोपित पर बेटी की ठीक से देखभाल न करने का भी आरोप था।

बेटी का आखिरी चेहरा भी नहीं देख पायें सुपरस्टार
2019 में सबसे बड़ी बेटी पाइले का निधन हो गया, जिसने 2019 में सुपरस्टार के जीवन में गहरा खालीपन छोड़ दिया।

पाइप के दूल्हे के बाद लंबे समय तक डिप्रेशन में रहे।

'लहरें रसायन' में दिए गए एक साक्षात्कार में बताया गया है कि कैसे एक मां के रूप में उन्होंने अपने बच्चे के दर्द को देखकर भगवान से प्रार्थना की कि उनकी बेटी को इस पीड़ा से मुक्ति मिले।

बालाजी की ये कहानी बताती है कि शोहरत और सफलता के पीछे निजी सुखें छुपी होती हैं, रैना एक सितारा भी सोया नहीं रह पाता।