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Up Kiran, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव की रफ्तार तेज हो चुकी है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने सीट बंटवारे का मसला लगभग तय कर लिया है। इस बार का फॉर्मूला खासतौर पर जनता के लिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे यह साफ होगा कि गठबंधन में किस दल की ताकत कितनी है और जनता की पसंद पर इसका क्या असर पड़ेगा।

NDA में सीटों की लड़ाई: JDU को मिली बढ़त

मिली जानकारी के मुताबिक जनता दल (यूनाइटेड) को भारतीय जनता पार्टी से एक सीट अधिक मिलने वाली है। यह बदलाव महज एक संख्या का नहीं बल्कि गठबंधन की रणनीति का हिस्सा है, ताकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रमुख भूमिका बनी रहे। माना जा रहा है कि जेडीयू 102 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जबकि बीजेपी 101 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। यह कदम जेडीयू को गठबंधन में मजबूत बनाए रखने और नीतीश के ग्रामीण वोट बैंक को कायम रखने की दिशा में उठाया गया है।

छोटे दलों की हिस्सेदारी भी हुई तय

NDA ने गठबंधन के छोटे सहयोगियों को भी उनके राजनीतिक वजन के अनुसार सीटें बांटी हैं। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को 22 से 28 सीटें मिल सकती हैं। वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 6 से 8 सीटें और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 3 से 5 सीटें मिलने की उम्मीद है। इस तरह का बंटवारा छोटे दलों को भी चुनावी मैदान में सक्रिय बने रहने का मौका देता है।

क्या जनता को मिलेगा फायदा?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह सीट बंटवारा जनता के लिए निर्णायक होगा। नीतीश कुमार के मजबूत ग्रामीण और ओबीसी वोटर बेस को ध्यान में रखकर यह फॉर्मूला बनाया गया है। दूसरी ओर, बीजेपी शहरों में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहेगी। दोनों दलों का यह तालमेल महागठबंधन के सामने NDA को मज़बूत चुनौती देने की तैयारी दिखाता है। जनता को उम्मीद है कि यह गठबंधन अपने वादों पर कायम रहेगा और विकास कार्यों को आगे बढ़ाएगा।

चुनाव आयोग की तैयारियों पर नजर

जैसे-जैसे चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों का एलान करने के करीब आ रहा है, राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। खबर है कि बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की अहम बैठक 5 अक्टूबर को दिल्ली में हो सकती है। इस बैठक में सीट बंटवारे के साथ-साथ पहले चरण के उम्मीदवारों की सूची भी फाइनल हो सकती है।

NDA की एकजुटता का परीक्षण

अधिकारिक घोषणा के पहले NDA ने अपने अंदरूनी मतभेदों को दूर करते हुए एकजुटता का परिचय दिया है। अब सबकी निगाहें उन उम्मीदवारों पर हैं जो मैदान में उतरेंगे और जनता के बीच जाकर अपने पक्ष में समर्थन जुटाएंगे। यह सीट बंटवारा इस बात का संकेत है कि गठबंधन चुनावी रणनीति को लेकर पूरी तरह से तैयार है और हर कदम सोच-समझकर उठा रहा है।