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काठमांडू: पिछले कुछ दिनों से नेपाल में हिंसक विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल है। सड़कें जल रही थीं, लोग गुस्से में थे, और देश के सबसे बड़े विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री, केपी शर्मा ओली, अचानक रहस्यमय तरीके से गायब हो गए थे। उनके इस तरह से गायब होने के बाद पूरे नेपाल में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। कोई कह रहा था कि वह देश छोड़कर भाग गए हैं, तो कोई कह रहा था कि उन्होंने किसी सीक्रेट आर्मी बंकर में शरण ले ली है।

कहां थे केपी शर्मा ओली: खुलासा हुआ है कि ओली न तो देश छोड़कर भागे थे और न ही किसी सेना के बंकर में छिपे थे। वह पूरे समय काठमांडू के बाहरी इलाके में स्थित अपने निजी आवास पर ही मौजूद थे। लेकिन यहां एक बड़ा ट्विस्ट है - उनकी सुरक्षा इतनी कड़ी कर दी गई थी कि उनका घर किसी किले से कम नहीं लग रहा था।

नेपाल सेना और सशस्त्र पुलिस बल के टॉप कमांडो उनकी सुरक्षा में तैनात थे, और किसी को भी उनके आवास के पास फटकने की इजाजत नहीं थी। उन्होंने अपने सारे फोन भी बंद कर रखे थे और दुनिया से अपना संपर्क पूरी तरह से काट लिया था।

क्यों छिपे हुए थे ओली: ओली के इस तरह से 'अंडरग्राउंड' होने के पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:

सुरक्षा का खतरा: खुफिया एजेंसियों को इनपुट मिले थे कि प्रदर्शनों की आड़ में कुछ चरमपंथी समूह ओली पर जानलेवा हमला कर सकते हैं। इसी खतरे को देखते हुए उन्हें सबसे सुरक्षित जगह, यानी उनके अपने ही किले जैसे घर में, कड़ी निगरानी में रखा गया था।

राजनीतिक रणनीति: कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि यह ओली की एक सोची-समझी रणनीति थी। वह हिंसक प्रदर्शनों से खुद को दूर रखकर यह संदेश देना चाहते थे कि इस हिंसा में उनकी पार्टी का कोई हाथ नहीं है। वह नहीं चाहते थे कि उनके किसी भी बयान से माहौल और बिगड़े।

इस खुलासे ने नेपाल में चल रही अटकलों को तो खत्म कर दिया है, लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि देश के राजनीतिक हालात कितने तनावपूर्ण और नाजुक हैं, जहां एक पूर्व प्रधानमंत्री को अपनी ही सुरक्षा के लिए दुनिया से कटकर अपने घर में कैद होना पड़ता है।