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Up Kiran, Digital Desk: आज बिहार में दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। सुबह से ही पोलिंग बूथों पर लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। इन कतारों में युवा हैं, महिलाएं हैं, बुजुर्ग हैं... और सबकी आंखों में एक ही उम्मीद है - बदलाव की, एक बेहतर भविष्य की।

इस बार बिहार का चुनाव सिर्फ पार्टियों और नेताओं के बीच की लड़ाई नहीं है, यह आम लोगों की उम्मीदों और आकांक्षाओं का चुनाव है। अब सिर्फ जाति-धर्म के समीकरण नहीं, बल्कि लोग अपने रोजमर्रा के जीवन से जुड़े असली मुद्दों पर वोट डाल रहे हैं। जब वोट डालने आए लोगों से बात की, तो उनकी बातों में बिहार का असली दर्द और भविष्य का सपना साफ नजर आया।

हमें ऐसी सरकार चाहिए, जो बेटियों को सुरक्षा दे

दरभंगा में वोट डालने आईं एक महिला से जब पूछा गया कि वो क्या सोचकर बटन दबा रही हैं, तो उनका जवाब हर नेता को सुनना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारे लिए सबसे बड़ा मुद्दा सुरक्षा है। हम ऐसी सरकार चाहते हैं, जहां हमारी बेटियां रात में भी बिना किसी डर के घर से बाहर निकल सकें। नेता आते हैं, वादे करते हैं, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा सवाल है।"

उनकी यह बात दिखाती है कि बिहार की आधी आबादी अब सिर्फ वादों से खुश नहीं होने वाली, उन्हें जमीन पर सुरक्षा का माहौल चाहिए।

अब चाहिए अच्छी शिक्षा और विकास

समस्तीपुर में पहली बार वोट डालने आए एक नौजवान की आंखों में एक अलग ही चमक थी। उसने कहा, "मैं जाति या धर्म देखकर वोट नहीं कर रहा। मैं वोट कर रहा हूं अच्छी शिक्षा और विकास के लिए। हमारे यहां अच्छे स्कूल और कॉलेज क्यों नहीं हैं? हमारे गांव की सड़कें आज भी खराब क्यों हैं? जो पार्टी इन मुद्दों पर काम करेगी, मेरा वोट उसी को जाएगा।"

यह सिर्फ एक नौजवान की आवाज नहीं, बल्कि बिहार के लाखों युवाओं की पुकार है, जो अब बेहतर भविष्य के लिए वोट करना चाहते हैं।

बिहार का सबसे बड़ा दर्द पलायन

जब बात नौकरियों की आई, तो लोगों का दर्द छलक उठा। एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने कहा, हमारे बच्चे पढ़-लिखकर दूसरे राज्यों में 10-15 हजार की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं। यहां फैक्ट्रियां क्यों नहीं लगतीं? यहां रोजगार के अवसर क्यों नहीं हैं? हम ऐसी सरकार चाहते हैं जो 'पलायन' का यह दर्द खत्म करे। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे हमारे पास रहकर, अपने राज्य में काम करें।

उनकी यह मांग बिहार की उस सबसे बड़ी सच्चाई को बयां करती है, जहां लगभग हर घर का कोई न कोई सदस्य रोजी-रोटी के लिए परदेस में रहने को मजबूर है।

तो इस बार बिहार का वोटर बहुत जागरूक है। उसे खोखले नारे नहीं, बल्कि ठोस काम चाहिए। उसे चाहिए:

अब देखना यह है कि बिहार की जनता का यह वोट किस पार्टी की किस्मत चमकाता है और कौन उनकी इन उम्मीदों पर खरा उतरता है। फैसला 14 नवंबर को आएगा।