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भारत की रणनीतिक सोच में बीते वर्षों में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव देखा गया है। अब यह देश केवल प्रतिक्रिया देने वाला राष्ट्र नहीं रहा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर पहले प्रहार करने में भी हिचक नहीं करता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जो सुरक्षा सिद्धांत अपनाया है, वह स्पष्ट संकेत देता है — अब भारत आतंक और आक्रामकता का जवाब सख्ती से देगा, वो भी दुश्मन की सरहद में घुसकर।

सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे ऐतिहासिक कदमों ने यह साफ कर दिया कि भारत अब "नीति और नीयत" दोनों में बदलाव ला चुका है। पहले जहां सीमा पार से आतंकवादी हमलों पर केवल निंदा और कूटनीतिक बयानबाज़ी हुआ करती थी, वहीं अब प्रत्यक्ष और निर्णायक सैन्य कार्रवाई इसका जवाब बन चुकी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही के भाषणों में इस सोच को बार-बार दोहराया है कि भारत अब किसी भी प्रकार की आतंकी या शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को बिना जवाब के नहीं छोड़ेगा। "घर में घुसकर मारना" अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत की सक्रिय रणनीतिक नीति का हिस्सा बन चुका है।

इस नई सोच का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी गहरा पड़ा है। जहां पहले दुश्मन भारत की चुप्पी का फायदा उठाते थे, वहीं अब वे हर कदम पर सतर्क रहते हैं कि किसी भी हरकत का करारा जवाब मिल सकता है। यह रणनीति न केवल देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को भी एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है।

समय आ गया है कि भारत की यह नीति दीर्घकालिक रूप से अपनाई जाए और आतंरिक तथा बाह्य खतरों के खिलाफ इसी तरह की निर्णायक सोच को मजबूती दी जाए। नया भारत अब सहने वाला नहीं, सिखाने वाला बन चुका है।
 

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