
जबलपुर से साइबर अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने ठगी के नए तरीके को उजागर कर दिया है। शहर के कोतवाली थाना क्षेत्र के निवासी प्रदीप जैन के साथ एक ऐसी ठगी हुई, जिसमें सिर्फ एक फोटो डाउनलोड करना ही उनके लिए भारी पड़ गया। इस घटना से यह साफ हो गया है कि साइबर ठग अब और ज्यादा चालाक हो गए हैं और लोगों को ठगने के लिए तकनीकी तरीके अपना रहे हैं, जिनके बारे में आम लोग शायद ही जानते हों।
कैसे हुई ठगी? फोटो के जरिए हैकिंग का नया तरीका
प्रदीप जैन के अनुसार, उनके मोबाइल पर सुबह एक अनजान नंबर से कॉल आया और फिर एक फोटो भेजी गई। शुरुआत में उन्होंने फोटो नहीं खोली, लेकिन दोपहर में जब दोबारा फोन आया और फोटो के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उसे डाउनलोड कर लिया। इसी के साथ उनके फोन में मौजूद कैनरा बैंक अकाउंट हैक हो गया और कुछ ही मिनटों में दो ट्रांजेक्शन के ज़रिए कुल ₹2,11,000 रुपये उनके खाते से निकल गए।
इस तरह की ठगी में साइबर ठग स्टेग्नोग्राफी नाम की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें किसी फोटो या फाइल के अंदर छिपा कोड या वायरस होता है। जैसे ही यूजर उस फोटो को डाउनलोड करता है, फोन या सिस्टम हैक हो जाता है और ठग बैंकिंग डेटा तक पहुंच जाते हैं।
ठगों की चालाकी: पहले 1 रुपये डाला, फिर बड़ा ट्रांजेक्शन
फोटो डाउनलोड करने के कुछ ही देर बाद प्रदीप के खाते में ₹1 का क्रेडिट हुआ। यह एक तरह से ट्रायल था कि अकाउंट एक्टिव है या नहीं। इसके तुरंत बाद दो बड़े ट्रांजेक्शन हुए—एक बार में ₹1 लाख और दूसरी बार में ₹1.11 लाख खाते से निकल गए।
इस मामले की शिकायत कोतवाली थाने में दर्ज की गई, जिसके बाद उन्हें साइबर सेल भेजा गया।
ठगों ने कब और कैसे किया ट्रांजेक्शन?
साइबर पुलिस की जांच में सामने आया कि ठगों ने यह राशि हैदराबाद के केनरा बैंक की एक ब्रांच से निकाली। यह पैसा एक नए खोले गए IVIVF नामक अकाउंट में ट्रांसफर किया गया और फिर एटीएम से निकाला गया। पासबुक में दो संदिग्ध ट्रांजेक्शन के नाम भी दिखे—"विशाल ऑनलाइन" और "जन्नतुन बीबी ऑनलाइन"।
वॉट्सऐप पर करते रहे निगरानी
इस साइबर ठगी में खास बात यह रही कि ठग लगातार वॉट्सऐप पर डॉट (.) भेजकर प्रदीप की ऑनलाइन एक्टिविटी चेक करते रहे। वे यह जानना चाहते थे कि कब वे एक्टिव हैं ताकि उसी समय हैकिंग को अंजाम दिया जा सके। उन्होंने एक बार खाता बंद हो जाने के बाद भी ₹96,000 निकालने की कोशिश की, जो असफल रही।
बैंक और साइबर हेल्पलाइन से नहीं मिली त्वरित मदद
प्रदीप ने बताया कि जब उन्होंने बैंक को जानकारी दी, तो उन्हें सीधे साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत करने की सलाह दी गई। लेकिन वहां से भी उन्हें तुरंत सहायता नहीं मिल पाई। अगले दिन उन्होंने जाकर लिखित शिकायत दर्ज कराई।
एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि जब बैंक से फोन आया, तब ठग ने कस्टमर सपोर्ट बनकर जवाब दिया, और प्रदीप की आवाज़ की नकल की।