
Up Kiran, Digital Desk: सोमवार को लोकसभा में एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण सत्र के दौरान, आयकर विधेयक, 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 नामक दो प्रमुख वित्तीय विधेयकों को विपक्षी सदस्यों के जोरदार विरोध के बीच पारित कर दिया गया। यह विरोध मुख्य रूप से बिहार में चुनावी मतदाता सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लेकर था।
वित्त मंत्री की पहल और विधेयकों का महत्व
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन विधेयकों को सदन में पेश किया, जिसमें आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2025 में संशोधन का आग्रह किया गया। सत्र अपराह्न 4 बजे फिर से शुरू हुआ, जिसकी अध्यक्षता संध्या राय ने की। विपक्षी सदस्यों द्वारा "वोट की चोरी बंद करो" और "SIR वापस लो" जैसे नारे लगाते हुए शोर-शराबा करने के बावजूद, ध्वनि मत (voice vote) के माध्यम से दोनों विधेयकों को पारित कर दिया गया।
आयकर विधेयक, 2025: छह दशक पुराने कानून का स्थान लेगा नया ड्राफ्ट
आयकर विधेयक, 2025 का मुख्य उद्देश्य छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 को प्रतिस्थापित करना है। इस नए विधेयक में भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31-सदस्यीय संसदीय चयन समिति द्वारा की गई 285 से अधिक सिफारिशों को शामिल किया गया है। नए ड्राफ्ट का एक प्रमुख लक्ष्य कर प्रक्रियाओं को सरल बनाना, ** the language of tax** को स्पष्ट करना, कटौतियों को स्पष्ट करना और विभिन्न प्रावधानों के बीच क्रॉस-रेफरेंसिंग को मजबूत करना है।
मुख्य प्रावधान और करदाताओं के लिए राहत
इस विधेयक में आवास संपत्ति से आय से संबंधित अस्पष्टताओं को भी दूर किया जाएगा, जिसमें मानक कटौती (standard deductions) और होम लोन पर पूर्व-निर्माण ब्याज जैसे मुद्दे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यह विधेयक "पूंजीगत संपत्ति" (capital asset), "सूक्ष्म और लघु उद्यम" (micro and small enterprises), और "लाभार्थी स्वामी" (beneficial owner) जैसे शब्दों के लिए स्पष्ट परिभाषाएँ प्रस्तुत करता है। साथ ही, पेंशन अंशदान और वैज्ञानिक अनुसंधान व्यय के लिए कर उपचार को भी संरेखित किया गया है। यह नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है, जो करदाताओं को अनुपालन में आसानी प्रदान करेगा और भ्रष्टाचार के जोखिमों को कम करेगा।
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