नई दिल्ली: भारत और सेशेल्स की दोस्ती कितनी गहरी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, सेशेल्स के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पैट्रिक हरमिनी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए 26 अक्टूबर को सेशेल्स पहुँच रहे हैं।
यह दो दिवसीय यात्रा सेशेल्स सरकार के निमंत्रण पर हो रही है, जो दोनों देशों के बीच पुराने और समय की कसौटी पर खरे उतरे संबंधों को दर्शाती है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन, राष्ट्रपति हरमिनी को भारत की ओर से हार्दिक बधाई देंगे और दोनों देशों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे।
क्यों खास है सेशेल्स-भारत का रिश्ता?रणनीतिक साझेदारी: हिंद महासागर में स्थित सेशेल्स, भारत के 'विज़न सागर' (Security and Growth for All in the Region - MAHASAGAR) का एक महत्वपूर्ण भागीदार है। भारत हमेशा से सेशेल्स की सुरक्षा और विकास में एक भरोसेमंद दोस्त की भूमिका निभाता आया है।
ऐतिहासिक जुड़ाव: दोनों देशों का रिश्ता आज का नहीं, बल्कि सदियों पुराना है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, 1770 में ही पांच भारतीयों का एक छोटा समूह बागान मजदूरों के रूप में सेशेल्स पहुंचा था।
अटूट राजनयिक संबंध: 1976 में सेशेल्स की आजादी के बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हैं। भारत ने 1979 में सेशेल्स की राजधानी विक्टोरिया में अपना मिशन स्थापित किया था।
मार्च 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेशेल्स का दौरा किया था, जो 34 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। इस दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें तटीय निगरानी रडार प्रणाली (Coastal Surveillance Radar System) का उद्घाटन भी शामिल था।
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक नया अध्याय लिखेगी और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगी।
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