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Contempt notice: सरकार ने ट्विटर और फेसबुक के खिलाफ इसी तरह के कदम उठाने के बाद विकिपीडिया को नोटिस जारी करके महत्वपूर्ण कार्रवाई की है, क्योंकि इन प्लेटफार्मों पर भेदभादल और गलत सूचना देने का आरोप है।

इस मामले की सुनवाई वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय में चल रही है, जहाँ ANI (एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल) ने शिकायत दर्ज की है। न्यायालय ने सितंबर में विकिपीडिया को अवमानना ​​नोटिस जारी किया था, जिसमें भारतीय कानूनों का पालन करने की आवश्यकता के बारे में कड़ी चेतावनी दी गई थी।

सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार ने कहा कि एक चुनिंदा ग्रुप विकिपीडिया पर संपादकीय नियंत्रण रखता है. ऐसे में प्रश्न खड़ा होता है कि विकिपीडिया को 'बिचौलिए' के बजाय 'प्रकाशक' क्यों नहीं माना जाना चाहिए? ये नोटिस दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही एक कानूनी लड़ाई के बीच आया है, जिसमें समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल यानी ANI ने उन यूजर्स के बारे में सूचना मांगी है, जिन्होंने फर्म के बारे में एडिट कर कई गलत चीजें लिखी थीं. विकिपीडिया पर कथित संपादन में ANI को भारत सरकार का 'प्रचार उपकरण' यानी प्रोपेगैंडा टूल बताया गया था।

बता दें कि हाईकोर्ट ने सितंबर की सुनवाई में समाचार एजेंसी एएनआई से जुड़े एक प्रकरण में विकीपीडिया के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था. बेंच ने विकिपीडिया को भारतीय कानूनों का पालन न करने के लिए वार्निंग देते हुए कहा था कि अगर आपको भारत पसंद नहीं है, तो कृपया भारत में काम न करें, हम सरकार से आपकी साइट को ब्लॉक करने के लिए कहेंगे।

समाचार एजेंसी की तरफ से याचिका लगाकर अदालत में कहा गया था कि एएनआई के बारे में जानकारी वाले पेज पर कुछ एडिट की अनुमति दी गई है. एडिट के जरिए विकीपीडिया पर लिखा गया कि न्‍यूज एजेंसी एएनआई भारत सरकार का प्रोपेगेंडा टूल है. जिस वजह से कंपनी ने मानहानि का दावा किया।