
Up Kiran, Digital Desk: बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आम लोगों को राहत देने वाली खबर सामने आई है। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि किसी भी योग्य मतदाता का नाम 1 अगस्त को जारी मसौदा मतदाता सूची से बिना उचित प्रक्रिया के नहीं हटाया जाएगा। यह कदम मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम माना जा रहा है।
आयोग का भरोसा: बिना सूचना, सुनवाई और कारण बताए नहीं हटेगा कोई नाम
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक नए हलफनामे में कहा है कि मतदाता सूची से नाम हटाने से पहले तीन अहम शर्तें पूरी करना अनिवार्य होगा संबंधित व्यक्ति को पहले से सूचित करना, उसे अपनी बात रखने का पूरा मौका देना, और फिर सक्षम अधिकारी द्वारा कारण सहित आदेश पारित करना।
यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में दाखिल किया गया है जिसमें एक गैर-सरकारी संस्था ने 65 वैध मतदाताओं को गलत तरीके से सूची से बाहर कर देने का आरोप लगाया था। अब इस मुद्दे पर 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
आम मतदाता को मिलेगा अपील का पूरा मौका
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में किसी भी गड़बड़ी को सुधारने के लिए दो-स्तरीय अपील प्रणाली लागू है। इसका मतलब है कि अगर किसी मतदाता को लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है, तो वह उचित माध्यम से अपनी बात रख सकता है और उस पर विचार किया जाएगा।
दस्तावेज़ न होने पर भी नहीं होंगे वंचित
बिहार के लगभग 7.89 करोड़ मतदाताओं में से अब तक 7.24 करोड़ लोगों ने अपनी जानकारी आयोग को दी है। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि जिन मतदाताओं के पास वर्तमान में जरूरी दस्तावेज़ नहीं हैं, उन्हें दस्तावेज़ बनवाने में पूरी सहायता दी जाएगी ताकि कोई भी योग्य नागरिक वोट देने के अधिकार से वंचित न रहे।
राजनीतिक दलों को मिली पारदर्शिता से जुड़ी जानकारी
1 अगस्त से 1 सितंबर तक मसौदा सूची पर सार्वजनिक और राजनीतिक समीक्षा के लिए समय दिया गया है। आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को छपी हुई और डिजिटल मतदाता सूचियां पहले से उपलब्ध कराई गई हैं। इतना ही नहीं, जिन लोगों ने अपने विवरण नहीं भरे थे, उनकी सूची भी पहले ही बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) के साथ साझा की जा चुकी है।
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