Up Kiran, Digital Desk: आज 'वर्ल्ड पब्लिक ट्रांसपोर्ट डे' (World Public Transport Day) है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बसों, ट्रेनों और मेट्रो का हमारी जिंदगी में कितना महत्व है। सड़कों पर बढ़ते ट्रैफिक जाम और प्रदूषण के बीच, अब भारत का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आने वाले सालों में आपका सफर पूरी तरह से बदलने वाला है। यह भविष्य सिर्फ तेज नहीं, बल्कि स्मार्ट, आरामदायक और पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।
आइए जानते हैं वो 5 बड़े बदलाव जो भारत के पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पूरी तस्वीर बदलकर रख देंगे।
1. सड़कों पर दौड़ेगी इलेक्ट्रिक क्रांति
डीजल और CNG बसों का धुआं और शोर अब पुरानी बात होने वाली है। सरकार का पूरा फोकस इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) पर है। खासतौर पर, शहरों में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या तेजी से बढ़ाई जा रही है। पीएम-ईबस सेवा जैसी योजनाओं के तहत न सिर्फ बड़े महानगरों, बल्कि छोटे शहरों में भी हजारों नई इलेक्ट्रिक बसें चलाने की तैयारी है। ये बसें न केवल प्रदूषण को कम करेंगी, बल्कि इनका सफर भी शांत और आरामदायक होगा।
2. छोटे शहरों तक पहुंचेगा मेट्रो का जाल
मेट्रो अब सिर्फ दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहेगी। भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क वाला देश बन चुका है और इसका विस्तार बहुत तेजी से हो रहा है।सरकार का लक्ष्य मेट्रो को देश के दर्जनों नए शहरों तक पहुंचाना है। जिन शहरों में भीड़ कम है, वहां के लिए 'मेट्रोलाइट' (Metrolite) और 'मेट्रो नियो' (Metro Neo) जैसे कम लागत वाले सिस्टम पर भी काम चल रहा है। इसका मतलब है कि आने वाले समय में आपके शहर में भी मेट्रो की आरामदायक सवारी हकीकत बन सकती है।
3. 'एक देश, एक कार्ड' से सफर होगा आसान
अलग-अलग शहरों में मेट्रो, बस के लिए कई तरह के कार्ड रखने का झंझट अब खत्म होने वाला है। 'वन नेशन, वन कार्ड' (One Nation, One Card) की सोच के साथ नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC) लॉन्च किया गया है। यह एक ऐसा कार्ड होगा जिसका इस्तेमाल आप देश के किसी भी शहर में मेट्रो, बस, ट्रेन के टिकट से लेकर टोल और पार्किंग के पेमेंट के लिए भी कर पाएंगे। यह आपके सफर को बेहद आसान और कैशलेस बना देगा।
4. रफ्तार का नया दौर रैपिड और बुलेट ट्रेन
शहरों के बीच का सफर अब घंटों से घटकर मिनटों में पूरा हो सकेगा। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) यानि 'नमो भारत' जैसी ट्रेनों की शुरुआत हो चुकी है, जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं दिल्ली से मेरठ का सफर इसका एक बड़ा उदाहरण है। इसके साथ ही, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम चल रहा है।ये ट्रेनें न सिर्फ समय बचाएंगी, बल्कि बिजनेस और टूरिज्म को भी बढ़ावा देंगी।
5. घर से स्टेशन तक नो टेंशन (लास्ट-माइल कनेक्टिविटी)
अक्सर लोगों को मेट्रो स्टेशन या बस स्टॉप तक पहुंचने और वहां से घर जाने में परेशानी होती है। इस समस्या को "लास्ट-माइल कनेक्टिविटी" कहते हैं। अब सरकार इस पर खास ध्यान दे रही है। इसके लिए मेट्रो स्टेशनों के बाहर फीडर बसें, ई-रिक्शा और बाइक-शेयरिंग जैसी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। मकसद यह है कि आपका पूरा सफर, यानी घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक, बिना किसी रुकावट के पूरा हो सके।
कुल मिलाकर, भारत का पब्लिक ट्रांसपोर्ट एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रहा है, जहां सफर करना एक सुखद अनुभव होगा।




