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Up Kiran, Digital Desk: जब जिंदगी किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आती है, तो इलाज की चिंता से पहले जेब की फिक्र सताने लगती है। खासकर कैंसर, मधुमेह और गंभीर इंफेक्शन जैसी बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाएं इतनी महंगी होती हैं कि आम आदमी उन्हें खरीदने से पहले कई बार सोचता है। लेकिन अब मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है।

सरकार ने 71 अहम दवाओं की कीमतें नियंत्रित करने का फैसला लिया है। यह कदम उन लाखों परिवारों के लिए राहत लेकर आया है जो लंबे समय से इलाज के साथ-साथ दवा के खर्च से भी जूझते आ रहे थे।

कौन सी दवाएं होंगी सस्ती?

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने हाल ही में जो अधिसूचना जारी की है, उसमें कुछ प्रमुख जीवनरक्षक दवाओं की कीमतें तय कर दी गई हैं। उदाहरण के तौर पर, रिलायंस लाइफ साइंसेज द्वारा बनाई गई ट्रास्टुज़ुमैब, जो मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर और पेट के कैंसर में इस्तेमाल होती है, अब ₹11,966 प्रति वायल में उपलब्ध होगी।

इसके अलावा, गंभीर संक्रमणों के इलाज में काम आने वाली दवाएं जैसे सेफ्ट्रियाक्सोन, डिसोडियम एडेटेट और सल्बैक्टम पाउडर की कीमत ₹626 तय की गई है। वहीं, एक लोकप्रिय कॉम्बीपैक अब ₹515 में मिलेगा।

डायबिटीज की दवाओं पर भी राहत

मधुमेह यानी डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए भी अच्छी खबर है। NPPA ने कुल 25 एंटी-डायबिटिक दवाओं की कीमत निर्धारित की है, जिनमें सिटाग्लिप्टिन और एंपाग्लिफ्लोज़िन जैसे फार्मुलेशन शामिल हैं। ये दवाएं आमतौर पर लंबे समय तक चलने वाले इलाज में इस्तेमाल होती हैं, और इनकी कीमत में कमी से हजारों मरीजों को सीधी राहत मिलेगी।

अब दवा कंपनियों को देना होगा जवाब

सिर्फ कीमत तय करना ही नहीं, सरकार इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी लाना चाहती है। इसलिए NPPA ने यह निर्देश जारी किया है कि सभी फार्मा कंपनियों को अपनी उत्पाद सूची राज्य औषध नियंत्रकों, डीलरों और केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के पास भेजनी होगी। साथ ही यह भी साफ करना होगा कि किसी दवा की कीमत कैसे और किस आधार पर तय की गई है।

क्यों है ये फैसला खास?

इस निर्णय के कई मायने हैं। एक तो यह सीधे तौर पर मरीजों के खर्च को कम करेगा, खासकर उन लोगों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। दूसरा, इससे दवा बाजार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ता ठगे नहीं जाएंगे।

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