
Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा के गंजम जिले में देबेंद्र नाथ सारंगी को उनके अविश्वसनीय प्रयासों के लिए 'ग्रीनमैन' के नाम से जाना जाता है। 75 वर्षीय सारंगी ने अथक परिश्रम से 20 बंजर पहाड़ियों को हरे-भरे जंगलों में बदल दिया है, जिससे पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। उनके इस असाधारण कार्य की प्रधानमंत्री ने भी सराहना की है।
सारंगी ने अपने गाँव, दिगापाहंडी ब्लॉक में लिंगराज पीठ (मंदिर) के चारों ओर पेड़ लगाने से अपनी यात्रा शुरू की। उनका यह जुनून उन्हें अपने पिता से मिला, जो एक शिव मंदिर के पास पेड़ लगाते थे। सारंगी ने महसूस किया कि पेड़ों की कमी से मिट्टी का कटाव हो रहा है और भूजल स्तर गिर रहा है, जिससे उन्हें पर्यावरण के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली।
शुरुआत में, जब उन्होंने पहाड़ियों पर वृक्षारोपण का काम शुरू किया तो ग्रामीणों ने उनका मजाक उड़ाया और उनकी कोशिशों पर संदेह किया। लेकिन देबेंद्र नाथ सारंगी ने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार कड़ी मेहनत की और ग्रामीणों को भी अपने साथ जोड़ने में सफल रहे। उन्होंने पहाड़ियों पर गड्ढे और चैनल बनाकर हजारों की संख्या में विभिन्न प्रकार के पेड़ लगाए, जिनमें आम, जामुन, काजू, नीम, टीक, सिसू, बरगद, पीपल, अर्जुन, करंज, अमरूद और नींबू जैसे फलदार और छायादार वृक्ष शामिल थे।
उनके निरंतर प्रयासों का नतीजा यह रहा कि गंजम जिले की 20 बंजर पहाड़ियां अब घने जंगलों में बदल गई हैं। इन जंगलों ने न केवल हरियाली बढ़ाई है, बल्कि मिट्टी के कटाव को भी रोका है, जैव विविधता को बढ़ावा दिया है और क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बहाल किया है।
देबेंद्र नाथ सारंगी का जीवन और कार्य हम सभी के लिए एक प्रेरणा है। उनका मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। उनका यह दृढ़ संकल्प और समर्पण यह दर्शाता है कि एक व्यक्ति के छोटे से प्रयास से भी कितना बड़ा और सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। उन्होंने एक वास्तविक 'ग्रीनमैन' के रूप में अपनी पहचान बनाई है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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