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Up Kiran, Digital Desk: ऑनलाइन फ्रॉड के तरीके हर दिन बदल रहे हैं और आजकल एक नए और बेहद खतरनाक घोटाले ने पूरे देश में हड़कंप मचा रखा है - इसका नाम है "डिजिटल अरेस्ट" स्कैम। यह घोटाला इतना गंभीर और व्यापक हो चुका है कि अब खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गहरी चिंता जताई है और इसकी जांच देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, सीबीआई (CBI) को सौंपने पर विचार कर रहा है।

आखिर क्या है यह 'डिजिटल अरेस्ट' घोटाला?

कल्पना कीजिए कि आपके पास एक फोन आता है। फोन करने वाला खुद को पुलिस, सीबीआई, या किसी दूसरी सरकारी एजेंसी का बड़ा अधिकारी बताता है। वह आपसे कहता है कि आपके नाम पर एक अवैध पार्सल (जैसे ड्रग्स या हथियार) पकड़ा गया है या आपका बैंक खाता किसी आतंकी गतिविधि में इस्तेमाल हुआ है।

इसके बाद असली खेल शुरू होता है। वह आपको डराकर एक वीडियो कॉल (जैसे Skype या WhatsApp पर) पर आने के लिए कहता है। कॉल पर आपको एक नकली पुलिस स्टेशन और वर्दी पहने लोग दिखाए जाते हैं, ताकि आपको सब कुछ असली लगे। फिर वे आपको बताते हैं कि आप "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" हैं। इसका मतलब है कि आपको अपने घर के अंदर ही रहना होगा और 24 घंटे वीडियो कॉल पर उनके सामने रहना होगा। वे आपको किसी से भी बात करने से रोक देते हैं और आपकी हर हरकत पर नजर रखते हैं।

इस तरह आपको मानसिक रूप से तोड़कर और डरा-धमकाकर, वे आपसे "मामला निपटाने" के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठ लेते हैं।

सुप्रीम कोर्ट क्यों हुआ सख्त: यह घोटाला किसी एक शहर या राज्य तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में एक लहर की तरह फैल गया है (nationwide fraud surge)। हजारों लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई इन धोखेबाजों को दे चुके हैं। राज्य पुलिस के लिए इन गिरोहों को पकड़ना मुश्किल हो रहा है क्योंकि इनके तार अक्सर अलग-अलग राज्यों और यहां तक कि विदेशों से भी जुड़े होते हैं।

इसीलिए, सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इस राष्ट्रव्यापी घोटाले की जांच किसी एक राज्य की पुलिस के बस की बात नहीं है। इसके लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत है, जिसके पास पूरे देश में जांच करने का अधिकार और संसाधन हों। यही वजह है कि अब कोर्ट इस पूरे मामले की जांच CBI को सौंपने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।