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Up Kiran, Digital Desk: आई.आई.टी. (IIT) पास करना आज भी भारत में लाखों छात्रों और उनके माता-पिता के लिए एक बहुत बड़ा सपना है। यह सिर्फ एक डिग्री नहीं, बल्कि सफलता, सम्मान और एक सुरक्षित भविष्य की गारंटी माना जाता है। लेकिन हाल ही में, चेन्नई स्थित रिसर्च फर्म ट्रैपव्यू (Trappview) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिसने इस सपने की चमक पर कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस रिपोर्ट ने IIT मद्रास (IIT-M), खड़गपुर (IIT-KGP), दिल्ली (IIT-D) और कानपुर (IIT-KNP) के पिछले पांच सालों के प्लेसमेंट डेटा का विश्लेषण किया है।

रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे

1. प्लेसमेंट दर में गिरावट:रिपोर्ट के अनुसार, इन टॉप IITs में ग्रेजुएट होने वाले सभी छात्रों को नौकरी नहीं मिल रही है। औसतन, केवल 83.6% छात्रों को ही ग्रेजुएशन के बाद प्लेसमेंट मिलता है। इसका मतलब है कि लगभग 16.4% छात्र कैंपस प्लेसमेंट से नौकरी पाने में असफल रहते हैं, जो कि एक चिंताजनक आंकड़ा है।

2. घट रहा है बड़ा सैलरी पैकेज:सिर्फ इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ग्रेजुएट्स को मिलने वाले सैलरी पैकेज में भी कमी आई है। जहां पहले बड़ी तनख्वाह वाली नौकरियां आम थीं, वहीं अब 5 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम के सैलरी पैकेज पाने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ: ट्रैपव्यू के सीईओ रमेश राघवन का कहना है, "यह आंकड़े IITs की ब्रांड वैल्यू के लिए एक खतरे की घंटी हैं। अगर देश के टॉप संस्थानों का यह हाल है, तो हमें अपनी उच्च शिक्षा प्रणाली और रोजगार बाजार के बीच के संबंध पर गंभीरता से पुनर्विचार करने की जरूरत है।"

हालांकि, कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि इन आंकड़ों को सही संदर्भ में देखना महत्वपूर्ण है। उनका तर्क है कि बहुत से IIT छात्र स्टार्टअप शुरू करने, उच्च शिक्षा हासिल करने या गैर-लाभकारी क्षेत्रों में काम करने का विकल्प चुनते हैं, जिसके कारण वे कैंपस प्लेसमेंट में नहीं बैठते।

आगे की राह: कारण जो भी हो, यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि IITs जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों को भी अब बाजार की बदलती जरूरतों के अनुसार खुद को ढालना होगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके छात्र सिर्फ अकादमिक रूप से ही नहीं, बल्कि प्रैक्टिकल स्किल्स में भी मजबूत हों, ताकि वे ग्रेजुएशन के बाद नौकरी के लिए पूरी तरह से तैयार हों।

यह रिपोर्ट उन सभी छात्रों और अभिभावकों के लिए आंखें खोलने वाली है जो IIT को सफलता का एकमात्र टिकट मानते हैं। यह हमें याद दिलाती है कि किसी भी प्रतिष्ठित संस्थान की डिग्री सफलता की गारंटी नहीं हो सकती, जब तक कि छात्र खुद को लगातार बदलती दुनिया के लिए तैयार न करे।