Up Kiran, Digital Desk: हम अक्सर बात करते हैं कि भारत को एक विकसित देश बनाना है. लेकिन यह सपना पूरा कैसे होगा? इसकी नींव रखी जाती है हमारे कॉलेजों और क्लासरूम में. पर इसके लिए सबसे पहले जरूरी है कि हमारे टीचर्स यानी गुरु खुद भविष्य की टेक्नोलॉजी से कदम मिलाकर चलें.
इसी सोच को हकीकत में बदलने के लिए आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में स्थित लेन्डी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. यह एक राष्ट्रीय स्तर का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) है, जहां देशभर के टीचर्स को भविष्य की टेक्नोलॉजी की ट्रेनिंग दी जा रही है.
क्या सीख रहे हैं टीचर्स: इस छह-दिवसीय कार्यक्रम का विषय बहुत दिलचस्प है. यहां सिखाया जा रहा है कि आने वाले समय में 'स्मार्ट फैक्ट्रियां' कैसे काम करेंगी, जहां इंसान और रोबोट कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ऑगमेंटेड रियलिटी/वर्चुअल रियलिटी (AR/VR) और 'डिजिटल ट्विन्स' जैसी आधुनिक तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है.
आसान भाषा में कहें तो, टीचर्स यह सीख रहे हैं कि कैसे टेक्नोलॉजी की मदद से उद्योगों में उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, लागत कम की जा सकती है और समाज में स्मार्ट सिटी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दिया जा सकता है. AICTE-ATAL अकादमी के सहयोग से आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम का मकसद ही यही है कि हमारे शिक्षक नई शिक्षण पद्धतियों को अपनाएं ताकि आने वाली पीढ़ी इनोवेशन और रोजगार के लिए पूरी तरह तैयार हो.
इस कार्यक्रम की गंभीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें IIT मद्रास, NIT राउरकेला जैसे प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों के साथ-साथ यूके, मलेशिया और यूएसए की यूनिवर्सिटियों के विशेषज्ञ भी अपने ज्ञान को साझा कर रहे हैं. यह पहल दिखाती है कि 'विकसित भारत' का रास्ता हमारे शिक्षकों को सशक्त बनाने से होकर ही गुजरता है.
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