
Up Kiran, Digital Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भारत और यूनाइटेड किंगडम (India-UK) के बीच के ऐतिहासिक संबंधों पर एक ज़ोरदार बयान दिया है। उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को सिर्फ द्विपक्षीय साझेदारी (Bilateral Partnership) ही नहीं माना, बल्कि इन्हें "प्राकृतिक साझेदार" (Natural Partners) बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह मज़बूत और समय-सिद्ध संबंध वैश्विक स्थिरता (Global Stability) और आर्थिक प्रगति (Economic Progress) के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ (Pillar) का काम करते हैं।
क्यों ‘प्राकृतिक साझेदार: PM मोदी के बयान के पीछे कई बड़े भू-राजनीतिक (Geopolitical) और आर्थिक कारण हैं:
लोकतांत्रिक मूल्य: भारत और यूके दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र हैं, जो 'कानून के शासन' (Rule of Law), 'स्वतंत्रता' और 'खुले समाज' के मूल्यों को साझा करते हैं। यही साझा विचार उन्हें स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के करीब लाते हैं।
सुरक्षा और स्थिरता: हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific) में भारत की बढ़ती सामरिक भूमिका और वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर दोनों देशों के विचारों में समानता, उन्हें एक मजबूत रणनीतिक सहयोगी (Strategic Partner) बनाती है। आतंकवाद से लड़ने या अंतरराष्ट्रीय नियमों को बनाए रखने जैसे मामलों में उनकी राय अक्सर एक होती है।
आर्थिक इंजन: फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) की ओर तेज़ी से बढ़ते क़दम के साथ, यह पार्टनरशिप एक बड़े आर्थिक इंजन का काम करेगी। भारत की बाज़ार क्षमता (Market Potential) और यूके की टेक्नोलॉजिकल (Technological) विशेषज्ञता (Expertise) दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभकारी है, और विश्व व्यापार के लिए स्थिरता प्रदान करती है।
PM मोदी का यह कहना कि दोनों देशों के मजबूत रिश्ते "वैश्विक स्थिरता का आधार हैं," स्पष्ट करता है कि यह साझेदारी केवल दोनों देशों के लिए नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती निर्णायक भूमिका (Decisive Role) का प्रतीक है। यूके भी भारत को विश्व पटल पर एक शक्तिशाली सहयोगी के रूप में देखता है, और यह भरोसा आने वाले वर्षों में दोनों देशों की विदेश नीतियों का मार्गदर्शन करेगा।