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Up Kiran, Digital Desk: भारत और अफ़ग़ानिस्तान द्वारा जारी संयुक्त बयान में जब जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया गया, तो पाकिस्तान का गुस्सा फूट पड़ा। शनिवार को पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर अपनी "कड़ी आपत्ति" दर्ज की और इस्लामाबाद स्थित अफ़ग़ान दूतावास को तलब कर अफ़ग़ान राजदूत को चेतावनी दी।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय (Foreign Office) ने कहा कि यह बयान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का “सीधा उल्लंघन” है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर पर दावा अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है।
भारत-अफ़ग़ान एकजुटता से तिलमिलाया इस्लामाबाद
10 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और अफ़ग़ानिस्तान के प्रधानमंत्री (कार्यवाहक) आमिर खान मुत्ताकी के बीच हुई मुलाकात में पाकिस्तान को लेकर कई परोक्ष टिप्पणियां की गईं। जयशंकर ने अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता और अखंडता के प्रति भारत की पूर्ण प्रतिबद्धता जताई।
वहीं मुत्ताकी ने तालिबान की नीति स्पष्ट करते हुए कहा कि अफ़ग़ान भूमि का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा। इसी मीटिंग के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान भी जारी किया जिसमें कश्मीर को भारत का हिस्सा बताया गया था।
26 लोगों की मौत पर अफ़ग़ानिस्तान की कड़ी निंदा
संयुक्त बयान में अफ़ग़ान नेता मुत्ताकी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की सख़्त निंदा की, जिसमें 26 मासूम लोगों की जान चली गई थी। भारत ने इस संवेदनशील मुद्दे पर अफ़ग़ानिस्तान के साथ खड़े होने के लिए मुत्ताकी का आभार जताया।
अफगानों को वीजा दे रहा पाकिस्तान, फिर भी शिकायतें
बयान में पाकिस्तान ने यह भी जोड़ा कि वह अफ़ग़ान नागरिकों को चिकित्सा और शिक्षा के वीज़ा जारी करता रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस्लामाबाद इस्लामी भाईचारे और अच्छे पड़ोसी रिश्तों के आधार पर अफ़ग़ानिस्तान से संबंध रखना चाहता है।
हालांकि, इस शांतिपूर्ण रवैये के बीच अफ़ग़ानिस्तान द्वारा भारत के समर्थन से पाकिस्तान में बेचैनी साफ़ दिखी।