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अमेरिका ने पाक समर्थित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) एवं विशेष रूप से निर्दिष्ट वैश्विक आतंकवादी (SDGT) घोषित कर इस पर प्रतिबंध लगाया है । ट्रांसफर से जुड़े ये निर्णय अप्रैल में पहान्गल हमले (26 नागरिकों की मौत) की जिम्मेदारी के बाद लिए गए।
विदेश मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र स्तर पर ट्रांसपेरेंसी कायम करने और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संरचना को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिकी निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच आतंकवाद विरोधी साझेदारी को और मजबूत करेगा।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस—विशेषकर ISI—TRF को नाम बदलकर एक नया परिधान दे सकता है ताकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से बचा जा सके । उनका कहना है कि यह पुराने तरीकों की पुनरावृत्ति হবে, जिसमें संगठन को रिब्रांड करके पुनः सक्रिय किया जाए।
सूत्रों का कहना है कि भारत पहले से ही TRF और उससे जुड़े अन्य फ्रंट समूहों का डोजियर तैयार कर रहा है। इसे अमेरिका, FATF और यूएन के साथ साझा किया जाएगा ताकि नए नामों को खोजा जा सके और वैधानिक रूप से उन्हें भी प्रतिबंधित किया जा सके।
विश्लेषकों की मानें तो TRF एक पाकिस्तान निर्मित छद्म 'स्थानीय विद्रोह' का चेहरा है, जिसका वास्तविक संचालन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा होता है। इसका मकसद FATF के मानदंडों से बचना है और कार्रवाई की आड़ में नए नाम से आतंककारी गतिविधियों को छिपाना है।
अब यह देखना होगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 संकल्प-समितियों में TRF को शामिल करने में वैश्विक राजनीतिक सहमति बनती है या नहीं—विशेषकर चीन लंबित विरोध चुनावों में निशाने पर रहेगा।
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