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Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान को हाल ही में अफगानिस्तान से भारत विरोधी योजनाओं में तगड़ा झटका लगा है। अब, पाकिस्तान ने अपने अगले कदम के रूप में बांग्लादेश को अपने पाले में लाने की साजिश रचनी शुरू कर दी है। पाकिस्तान की सेना के शीर्ष अधिकारी, जनरल शमशाद मिर्जा, जो पाकिस्तानी सेना के डिप्टी चीफ हैं, इन दिनों ढाका में हैं।

शनिवार को मिर्जा ने बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस से मुलाकात की। इसके साथ ही, उन्होंने बांग्लादेश की तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ भी अहम बैठकें कीं। इन मीटिंग्स में बांग्लादेश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलील-उर-रहमान और पाकिस्तान के उच्चायुक्त इमरान हैदर भी मौजूद थे। पाकिस्तान का उद्देश्य बांग्लादेश के सैन्य सहयोग को मजबूती प्रदान करना और दोनों देशों के रिश्तों को और गहरे करना है।

पाकिस्तान-बांग्लादेश के रिश्ते में नया मोड़

बांग्लादेश में पिछले साल सत्ता परिवर्तन हुआ था, जब शेख हसीना की सरकार को उखाड़ फेंका गया था। इसके बाद एक अंतरिम सरकार बनी, जिसकी अगुआई मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं। शेख हसीना की सरकार भारत के साथ मजबूत रिश्तों के लिए जानी जाती थी, जबकि यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश ने कट्टरपंथियों के प्रति नरम रुख अपनाया है। पाकिस्तान को अब उम्मीद है कि बांग्लादेश के इस नए नेतृत्व के साथ अपने रिश्तों को और प्रगाढ़ किया जा सके।

पाकिस्तान की सेना अब बांग्लादेश के साथ मिलकर कई सैन्य और रणनीतिक सहयोग स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। कराची और ढाका के बीच सीधी उड़ानें शुरू हो चुकी हैं, साथ ही पाकिस्तानी जहाजों की बांग्लादेशी समुद्र तटों पर भी एंट्री हो चुकी है। यह सभी घटनाएं पाकिस्तान की बांग्लादेश को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाने की कूटनीतिक कोशिशों का हिस्सा मानी जा रही हैं।

भारत से सटे सीमांत इलाकों में बढ़ती गतिविधियां

सूत्रों के अनुसार, जनरल शमशाद मिर्जा भारत के साथ सटे कुछ सीमांत इलाकों का दौरा करने की योजना बना रहे हैं। ये इलाके पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के बीच स्थित हैं। इन क्षेत्रों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की गतिविधियां काफी बढ़ी हुई हैं। पाकिस्तान चाहता है कि इन इलाकों में फिर से अपनी पुरानी ताकत स्थापित करे, जैसे कि 1971 से पहले इन इलाकों में आईएसआई सक्रिय थी।

भारतीय एजेंसियां भी इस बढ़ती स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। बांग्लादेश के साथ पाकिस्तान के बढ़ते सैन्य और कूटनीतिक रिश्ते भारत के लिए खतरे की घंटी हो सकते हैं, खासकर जब आईएसआई की गतिविधियों को ध्यान में रखा जाए।