
Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान से एक बड़ी खबर आ रही है, जहाँ दुनिया के जाने-माने मानवाधिकार समूहों ने वहां की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और इंटरनेशनल कमीशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स जैसे बड़े संगठनों ने एक संयुक्त बयान जारी कर पाकिस्तानी सरकार की कड़ी आलोचना की है।
इन संस्थाओं का कहना है कि पाकिस्तानी सरकार जानबूझकर पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को बदनाम करने के लिए एक "बेहद गैर-जिम्मेदाराना अभियान" चला रही है।
सरकार क्या कर रही है?: आरोप है कि सरकार इन पत्रकारों और संस्थाओं को 'देश-विरोधी' और 'विदेशी ताकतों का एजेंट' बता रही है। सरकार का दावा है कि ये लोग विदेशी फंडिंग लेकर देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं और गलत सूचना फैला रहे हैं। इसी का हवाला देकर सरकार मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है।
मानवाधिकार समूहों ने क्यों जताई चिंता?
मानवाधिकार समूहों ने सरकार के इस कदम को "खतरनाक" बताया है। उनका कहना है कि यह सच की आवाज़ को दबाने की एक कोशिश है। जब सरकार खुद ही अपने आलोचकों को देशद्रोही बताने लगती है, तो इससे उन पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की जान को खतरा पैदा हो जाता है। कोई भी कट्टरपंथी समूह या व्यक्ति उन्हें निशाना बना सकता है।
बयान में कहा गया “यह अभियान बोलने की आज़ादी और मानवाधिकारों पर सीधा हमला है। सरकार अपनी आलोचना सुनने के बजाय, आलोचकों को ही चुप कराना चाहती है।”