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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ शनिवार (19 जुलाई, 2025) को दिल्ली में एक ‘पावर ट्रीट’ शेड्यूल के तहत तीन शीर्ष नेताओं से मिले। सबसे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया कि यह मुलाकात सिर्फ विनम्रता की नहीं, बल्कि रणनीतिक संकेतों से भरी थी  । इसके बाद CM ने गृह मंत्री अमित शाह से “कॉर्टसी मीटिंग” की और अंत में भाजपा अध्यक्ष JP नड्डा से बातचीत की  ।

अधिकारिक रूप से इन मुलाकातों को औपचारिक तौर पर आयोजित किया गया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इनकी रणनीतिक अहमियत को लेकर तेज चर्चाएं हो रही हैं  । खासतौर पर भाजपा की अध्यक्षता और UP संगठन में बदलावों की प्रक्रिया पर यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इससे पहले UP के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं — यह श्रृंखला भाजपा भीतर चल रही रणनीतिक मंथन की झलक देती है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन और UP BJP संगठन में नए अध्यक्ष की नियुक्ति पीछे इन मुलाकातों का मुख्य एजेंडा हो सकता है। पार्टी के 37 राज्य इकाइयों में एक-एक कर नए अध्यक्ष चुने जा रहे हैं और यूपी भी इसी प्रक्रिया और समयसीमा में शामिल है।

2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी संगठन में ओबीसी, दलित और अन्य पिछड़ी तबकों के लिए शक्ति संतुलन ज़रूरी समझा जा रहा है। मौर्य के ओबीसी चेहरे को संगठन से जोड़कर नई रणनीति तैयार की जा सकती है।

BJP ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि संगठन और मंत्रिमंडल स्तर पर बड़े फेरबदल की तैयारी हो रही है। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जल्द होगा, उसके बाद UP में नया पार्टी अध्यक्ष और संभावित मंत्रिमंडल विस्तार की घोषणा हो सकती है।

कुल मिलाकर, CM योगी की ये तीनों बैठकें केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि आगामी चुनाव और संगठनात्मक पुनर्गठन की तैयारी की रणनीति का हिस्सा लगती हैं। BJP के अंदरूनी निर्णयों और यूपी के चुनावी समीकरणों पर इन मुलाकातों का असर साफ दिखाई देगा।
 

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