img

Up Kiran, Digital Desk: हर साल सर्दियों की दस्तक के साथ दिल्ली और एनसीआर का आसमान धुएं और धूल की एक जहरीली चादर ओढ़ लेता है। हवा इतनी खराब हो जाती है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। इस जानलेवा समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब एक ऐसा तरीका आजमाने की तैयारी में है जो सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है - क्लाउड सीडिंग यानी 'नकली बारिश'।

जी हां, अब दिल्ली में प्रदूषण को आसमान से बरसने वाले पानी से धो डालने की योजना बन रही है। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर यह है क्या और कैसे काम करेगा।

क्या है यह 'नकली बारिश' या क्लाउड सीडिंग?

यह कोई जादू नहीं, बल्कि विज्ञान की एक तकनीक है। इसे विज्ञान की भाषा में क्लाउड सीडिंग कहते हैं, लेकिन आम बोलचाल में आप इसे 'कृत्रिम' या 'नकली बारिश' भी कह सकते हैं। इसमें होता यह है:

प्लेन से बादलों पर छिड़काव: एक छोटे विमान (एयरक्राफ्ट) की मदद से आसमान में मौजूद बादलों पर कुछ खास तरह के केमिकल का छिड़काव किया जाता है। इन केमिकल्स में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड या फिर साधारण नमक शामिल होते हैं।

कैसे बनती है बारिश?: ये केमिकल हवा में मौजूद नमी और पानी की छोटी-छोटी बूंदों के लिए एक 'बीज' या 'चुंबक' का काम करते हैं। पानी की बूंदें इन कणों के चारों ओर जमा होने लगती हैं।

बूंदें भारी होती हैं: जब ये बूंदें जमा होकर भारी हो जाती हैं, तो वे बारिश के रूप में जमीन पर गिरने लगती हैं।

दिल्ली को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर (खासकर PM 2.5 और PM 10 कण) खतरनाक लेवल पर पहुंच जाता है। पराली का धुआं, गाड़ियों का प्रदूषण और ठंड की वजह से यह जहरीला स्मॉग बन जाता है।

क्लाउड सीडिंग से फायदा यह होगा कि:

जब बारिश होगी, तो वह हवा में तैर रहे इन सभी प्रदूषक कणों को अपने साथ नीचे जमीन पर ले आएगी।

यह एक तरह से हवा को प्राकृतिक तरीके से धोने (Natural Wash) जैसा होगा।

इससे स्मॉग छंट जाएगा और हवा की गुणवत्ता (Air Quality Index) में तुरंत सुधार देखने को मिलेगा, जिससे लोगों को सांस लेने में कुछ दिनों की राहत मिल सकेगी।

अभी क्या हो रहा है: फिलहाल दिल्ली सरकार इस तकनीक का ट्रायल यानी परीक्षण करने की योजना बना रही है। इसके लिए एक्सपर्ट्स की मदद ली जा रही है। अगर यह ट्रायल सफल रहता है, तो हो सकता है कि आने वाले समय में जब भी दिल्ली का दम घुटने लगे, तो सरकार इस 'नकली बारिश' का सहारा ले।

--Advertisement--