
नई दिल्ली: देशभर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख नेताओं ने बाबा साहेब के योगदान को याद किया और उनके विचारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. अंबेडकर को बताया प्रेरणा का स्रोत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर की प्रेरणा से ही आज भारत सामाजिक न्याय के सपनों को साकार करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने लिखा कि बाबा साहेब के आदर्श और सिद्धांत आत्मनिर्भर भारत और विकसित राष्ट्र के निर्माण को मजबूती और गति प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देशभर के नागरिकों की ओर से भारत रत्न बाबा साहेब को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन अर्पित है। उन्होंने उनके योगदान को न केवल संविधान निर्माता के रूप में, बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी के रूप में भी याद किया।
मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया संविधान को सामाजिक न्याय का औज़ार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी डॉ. अंबेडकर को याद करते हुए कहा कि उन्होंने देशवासियों को ऐसा संविधान दिया, जो न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि यह संविधान सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए सबसे प्रभावी उपकरण है।
खरगे ने अपने संदेश में कहा कि बाबा साहेब ने देश की प्रगति और एकता के लिए समावेशिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा को अपना परम धर्म माना। उन्होंने अंबेडकर की 135वीं जयंती पर सामाजिक परिवर्तन और न्याय के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराई।
अखिलेश यादव ने ‘संविधान’ को बताया जीवन का आधार
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि संविधान और आरक्षण उनकी सबसे महत्वपूर्ण देन हैं और इन्हें बचाने के लिए सभी को एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि ‘संविधान ही संजीवनी’ है और ‘संविधान ही ढाल’ है—जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक हर व्यक्ति का सम्मान और अधिकार भी सुरक्षित रहेगा।
अखिलेश ने कहा कि ‘पीडीए’—पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों की एकता ही संविधान और आरक्षण की रक्षा कर सकती है और यही एकजुटता भारत के सुनहरे भविष्य की नींव रखेगी।