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Up Kiran, Digital Desk: भारत के शेयर बाजार और निवेश की दुनिया में उतार-चढ़ाव कोई नई बात नहीं है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं, भू-राजनीतिक तनावों और घरेलू नीतियों में बदलाव के बीच, बाजार में अस्थिरता (volatility) बनी रहती है। ऐसे माहौल में, भारतीय निवेशक किस तरह से अपनी पूंजी को सुरक्षित रखते हुए धन सृजन (wealth creation) की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, यह जानना महत्वपूर्ण है। Moneycontrol के एक लेख के अनुसार, भारतीय निवेशक परिपक्वता और कुछ खास रणनीतियों के साथ इस अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।

भारतीय निवेशक कैसे कर रहे हैं बाजार की अस्थिरता का सामना?

दीर्घकालिक दृष्टिकोण (Long-Term Perspective): सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय निवेशक अब अल्पकालिक लाभ या हानि पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, दीर्घकालिक धन सृजन पर जोर दे रहे हैं। वे समझते हैं कि बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं और एक निश्चित अवधि में ही निवेश से बेहतर प्रतिफल (returns) मिलता है।

SIP का बढ़ता चलन: व्यवस्थित निवेश योजनाएं (Systematic Investment Plans - SIPs) भारतीय निवेशकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय हो गई हैं। SIP के माध्यम से, निवेशक नियमित रूप से एक निश्चित राशि का निवेश करते हैं, जिससे बाजार के उतार-चढ़ाव का औसत मूल्य (averaging out purchase costs) कम हो जाता है और बाजार को 'टाइम' करने का जोखिम कम हो जाता है।

विविधीकरण (Diversification) की शक्ति: जोखिम प्रबंधन के लिए, निवेशक अब अपनी पूंजी को विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों (asset classes) में फैला रहे हैं। इसमें इक्विटी (शेयर), डेट (बॉन्ड), सोना, रियल एस्टेट और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय फंड भी शामिल हैं। यदि एक परिसंपत्ति वर्ग खराब प्रदर्शन करता है, तो अन्य परिसंपत्ति वर्ग इसे संतुलित कर सकते हैं।

गुणवत्ता पर फोकस: निवेशक अब उन कंपनियों और म्यूचुअल फंडों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जिनका फंडामेंटल मजबूत है और जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है। ऐसी कंपनियां बाजार में गिरावट के दौरान भी अधिक लचीली साबित होती हैं।

भावनात्मक फैसलों से बचाव: लेख इस बात पर जोर देता है कि बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के प्रति भावनात्मक प्रतिक्रिया से बचना महत्वपूर्ण है। घबराहट में बिकवाली करना या अचानक तेजी का फायदा उठाने की कोशिश करना, दीर्घकालिक रिटर्न के लिए हानिकारक हो सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह और शोध: कई निवेशक वित्तीय सलाहकारों पर भरोसा कर रहे हैं और निवेश करने से पहले गहन शोध कर रहे हैं। वे मानते हैं कि सूचित निर्णय अधिक सफल होने की संभावना रखते हैं।

लचीलापन और अनुकूलन क्षमता: निवेशक बदलती बाजार की स्थितियों और आर्थिक कारकों के अनुसार अपने पोर्टफोलियो को समायोजित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन साथ ही वे अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों से भी जुड़े रहते हैं।

निवेशकों का बढ़ता आत्मविश्वास

लेख के अनुसार, भारतीय निवेशकों में वित्तीय साक्षरता और योजना बनाने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, वे एक अनुशासित निवेश दर्शन का पालन करके बाजार की अस्थिरता का सामना कर रहे हैं, जो भारतीय निवेश परिदृश्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

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