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वैग्नर लड़ाकों के प्रमुख येवगेनी रोगोजिन की सारी अकड़ 24 घंटे में ही ढीली पड़ गई। रूस में सत्ता पलटने का दावा करने वाले रोगोजिन ने अचानक ही यू टर्न ले लिया और रूसी राष्ट्रपति के साथ समझौता भी कर लिया। पुतिन ने भी वैग्नर प्रमुख को माफ कर दिया। तो आखिर कैसे ढीले पड़े रोगोजिन? आईये जानते हैं।

अचानक खबर आई कि रूसी सेना में फूट पड़ गई है। 30 हज़ार लड़ाकों को लेकर वैग्नर प्रमुख येवगेनी रोगोजिन अलग हो गए हैं और मॉस्को कूच कर रहे हैं। उन्होंने रूस में सत्तापलट का दावा किया। वैगनर प्रमुख की बगावत को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ा झटका माना गया था लेकिन पुतिन ने कुछ ही घंटों में पूरी बाजी पलट दी।

मॉस्को की ओर बढ़ रहे वैगनर लड़ाकों की मजबूत घेराबंदी कर दी जिसके बाद रूस को नया राष्ट्रपति देने का दावा करने वाले समझौते की टेबल पर आना पड़ा। दरअसल जिस तरह से रूस की जनता खुलकर पुतिन के साथ खड़ी हुई और पुतिन ने तेजी से फैसले लेते हुए सेना का शिकंजा वैगनर लड़ाकों पर कसा उसके बाद येवगेनी के पास समझौते के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। येवगेनी के ढीले पड़ते तेवरों के बीच पुतिन ने अपने करीबी बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को आगे किया और उन्होंने वैग्नर मुखिया येवगेनी रोगोजिन के साथ रूस का समझौता करा दिया।

येवगेनी ने कहा कि अब हम संघर्ष खत्म करने पर राजी हो गए हैं। इसलिए हम अपने काफिले को लेकर योजना के अनुसार फील्ड शिवरों में वापस जा रहे हैं। बयान के कुछ घंटों के भीतर रोस्तोव शहर में वैगनर के भाड़े के सैनिकों को उनके ट्रकों में चढ़ते और शहर से बाहर निकलते देखा गया।

रोस्तोव शहर के लोगों को भी बड़ी राहत मिली जिसकी उन्होंने खुशी भी मनाई क्योंकि समझौता नहीं होता तो वैगनर और रूसी सेना के बीच टकराव का मैदान रोस्तोव शहर बन जाता और यहां के लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान होता। इस समझौते से पुतिन ने एक बार फिर अपने रणनीतिक कौशल का दुनिया को परिचय दिया है। 

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