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Up Kiran, Digital Desk: देश की चुनावी प्रक्रिया एक बार फिर बहस के केंद्र में है, इस बार वजह बने हैं कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी। शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर भारतीय चुनाव आयोग और भाजपा को कठघरे में खड़ा करते हुए वोटिंग प्रक्रिया में "सुनियोजित हेरफेर" का आरोप लगाया। उनका दावा है कि भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मिलीभगत से मतदाताओं की सूची में धांधली की गई है, जिससे लोकतंत्र की नींव को ही हिलाने की कोशिश हो रही है।
राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने कथित फर्ज़ी मतदाताओं और एक ही व्यक्ति के नाम कई बार दर्ज होने जैसे मामलों का हवाला दिया। उन्होंने बैंगलोर सेंट्रल को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए दिखाया कि किस तरह बिना पते वाले लोगों को मतदाता सूची में शामिल किया गया है। उन्होंने इसे सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई "वोट की चोरी" बताया।
उनके अनुसार यह मामला सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी का नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के साथ सीधा विश्वासघात है। उनका यह आरोप तब आया है जब हाल ही में उन्होंने एक लाइव कार्यक्रम में भी चुनावों में गड़बड़ी के प्रमाणों को सार्वजनिक किया था।
राहुल गांधी ने उत्तराखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में सामने आए ऐसे मामलों का ज़िक्र करते हुए कहा कि ये घटनाएं अलग-अलग नहीं, बल्कि एक ही पैटर्न का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, "जो लोग इसके ज़िम्मेदार हैं, उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि बदलाव अवश्यंभावी है और सज़ा से बचा नहीं जा सकता।"
इस पूरे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए उनसे मांगा है कि वे शपथ लेकर ठोस सबूत पेश करें। जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि उनका "वचन ही शपथ है" और आयोग को चुनौती दी कि वह उनके द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों की निष्पक्ष जांच करे।
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