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Up Kiran, Digital Desk: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त लहजा अपनाया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल में हुए भीषण आतंकी हमले का हवाला देते हुए परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर हमला बोला और 'सीमा पार आतंकवाद' को गहरी चिंता का विषय बताया।

बैठक के दौरान सिंह ने उन देशों की नीतियों की आलोचना की जो आतंकवाद को राजनीतिक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा, “कुछ देश आतंकवादियों को संरक्षण देने और सीमा पार से हमले कराने को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बना चुके हैं। इस तरह के दोहरे मानदंड अब स्वीकार नहीं किए जा सकते। हमें ऐसे तत्वों की खुलकर आलोचना करनी चाहिए।”

पहलगाम हमले का ज़िक्र और जवाब में 'ऑपरेशन सिंदूर'

रक्षा मंत्री ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले को याद करते हुए कहा कि इस हमले में जो रणनीति अपनाई गई, वह पहले भारत में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए हमलों से मिलती-जुलती थी। उन्होंने बताया कि भारत ने आत्मरक्षा में 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसका उद्देश्य सीमा पार स्थित आतंकी ढांचों को ध्वस्त करना था।

सिंह ने कहा कि इस हमले की शैली पहले की घटनाओं से मेल खाती है। भारत ने आतंकवाद का माकूल जवाब देने के लिए ठोस कदम उठाए और आतंक के ठिकानों को निष्क्रिय करने की दिशा में सफल अभियान चलाया।

नागरिकों पर हमला और धार्मिक पहचान पर निशाना

गौरतलब है कि पहलगाम में हुए हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक और एक स्थानीय टट्टू चालक भी शामिल थे। इस हमले के पीछे 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' नामक आतंकी समूह का हाथ बताया गया है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है और जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया जा चुका है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि इस हमले में लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया गया, जो कि एक बेहद निंदनीय कृत्य है।

एससीओ देशों से सख्त रुख अपनाने की अपील

बैठक में सिंह ने एससीओ के सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों और इस समस्या के प्रति स्पष्ट और कठोर रुख अपनाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद चाहे किसी भी कारण स्थान या व्यक्ति द्वारा किया गया हो, वह निंदनीय है और उसे कभी भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।

आगे उन्होंने कहा कि हमें आतंकवाद के दोषियों, उनके समर्थकों, वित्तपोषकों और योजनाकारों को जवाबदेह बनाना होगा। न्याय तभी संभव है जब हम इन अपराधियों को उनके कृत्यों की सजा दिलाएं।

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