
Up Kiran, Digital Desk: बॉलीवुड और फिल्म इंडस्ट्री में हमेशा कुछ नया करने की होड़ रहती है, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे प्रयोग भी होते हैं जो सबको चौंका देते हैं। एक ऐसा ही अनोखा वाकया हुआ था, जब मिस इंडिया 1994 की प्रतियोगी रहीं एक अभिनेत्री की असली डिलीवरी को कैमरे में कैद कर एक फिल्म का हिस्सा बनाया गया! यह घटना तब देशभर में खूब सुर्खियां बटोरी और कलात्मक स्वतंत्रता व नैतिकता पर एक बड़ी बहस छेड़ दी।
यह बात साल 2013 की मलयालम फिल्म 'कालीमानु' (Kalimannu) की है। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर ब्लेसी ने किया था। ब्लेसी अपनी फिल्मों में यथार्थवाद (realism) के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यह कदम उनकी अब तक की सबसे बोल्ड कोशिश थी। फिल्म में एक अभिनेत्री की गर्भावस्था और माँ बनने के सफर को दिखाया जाना था, और ब्लेसी चाहते थे कि वह बिल्कुल असली लगे।
असली डिलीवरी, रील लाइफ सिनेमा: परंपरागत रूप से, फिल्मों में बच्चे के जन्म के दृश्यों को या तो प्रतीकात्मक रूप से दिखाया जाता है, या फिर उनका मंचन (enactment) किया जाता है। लेकिन 'कालीमानु' में, निर्देशक ने अपनी नायिका की असली डिलीवरी को ही फिल्माने का असाधारण निर्णय लिया। इस दृश्यांकन में उस पूरे संवेदनशील और दर्द भरे क्षण को शामिल किया गया जो एक महिला बच्चे को जन्म देते समय महसूस करती है।
इस फैसले पर कई सवाल उठे। कुछ लोगों ने इसे कलात्मक स्वतंत्रता (artistic freedom) की पराकाष्ठा बताया, तो कुछ ने इसे निजी ज़िंदगी के अत्यधिक अतिक्रमण (intrusion) के रूप में देखा। यह मुद्दा नैतिकता (ethics), सिनेमा की सीमाओं और दर्शकों को क्या दिखाया जाना चाहिए, इस पर एक गंभीर चर्चा का विषय बन गया। फिल्म के मेकर्स और अभिनेत्री ने बताया कि यह फिल्म के विषय को प्रामाणिकता (authenticity) देने और मातृत्व (motherhood) के सबसे पवित्र क्षण को बिना किसी बनावट के दिखाने के लिए ज़रूरी था।
एक मील का पत्थर: भले ही यह एक विवादित फैसला रहा हो, लेकिन इसने भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर बन गया। 'कालीमानु' ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर ही नहीं, बल्कि फिल्म निर्माण के तरीकों पर भी एक गहरी छाप छोड़ी। इसने दिखाया कि फिल्मकार अपनी कहानियों में यथार्थवाद लाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।
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