Up Kiran, Digital Desk: तेलुगु सिनेमा में एक नई फ़िल्म 'कांथा' (Kaantha) पर इन दिनों काफ़ी बात हो रही है। फ़िल्म में कलाकारों ने कमाल का काम किया है, उनका प्रदर्शन इतना शानदार है कि उसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है। पर बावजूद इसके, यह फ़िल्म दर्शकों के दिल में वैसी जगह नहीं बना पाई जैसी उम्मीद थी। रिव्यूज के मुताबिक, इस दमदार एक्टिंग पर कहीं न कहीं फ़िल्म की धीमी रफ्तार भारी पड़ गई। कहा जा रहा है कि इसकी कहानी को जिस तरह से सुनाया गया है, वह बहुत धीमा है, और यही फ़िल्म के लिए सबसे बड़ी कमज़ोरी बन गई है।
आजकल की तेज़-तर्रार दुनिया में, जहाँ लोग हर चीज़ में तेज़ी और रोमांच चाहते हैं, वहाँ एक फ़िल्म का धीमा होना कभी-कभी उसका नुकसान कर देता है। 'कांथा' के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ लगता है। कलाकारों ने अपनी जान लगा दी, अपने किरदारों को पूरी ईमानदारी से जिया, पर कहानी जिस धीमी गति से आगे बढ़ती है, उसने दर्शकों की रुचि को थोड़ा कम कर दिया।
तो क्या हैं 'कांथा' की ख़ास बातें और कमज़ोरियाँ? (रिव्यू के आधार पर)
कमाल का अभिनय: फ़िल्म की सबसे मज़बूत कड़ी है इसके कलाकारों का दमदार प्रदर्शन। हर कलाकार ने अपने किरदार को इतने बेहतरीन तरीके से निभाया है कि आप उनसे जुड़ाव महसूस करेंगे। उनके एक्सप्रेशन, डायलॉग डिलीवरी – सब कुछ शानदार है।
सार्थक कहानी (संभवतः): हो सकता है फ़िल्म की कहानी में एक गहरा मतलब या कोई सामाजिक संदेश हो, लेकिन अगर उसे सही तरीके से पेश न किया जाए, तो वह बेअसर हो जाता है। उम्मीद है 'कांथा' में भी कुछ ऐसी ही कहानी होगी।
धीमी रफ्तार बनी कमज़ोरी: रिव्यूज का निचोड़ यही है कि फ़िल्म की धीमी गति, यानी 'स्लो नरेशन', ने दर्शकों को बांधे रखने में थोड़ी मुश्किल पैदा की। एक फ़िल्म कितनी भी अच्छी क्यों न हो, अगर वह बोर करने लगे, तो दर्शक उससे दूर होने लगते हैं। आजकल की जनरेशन तेज़ फ़िल्में पसंद करती है।
कुल मिलाकर, 'कांथा' एक ऐसी फ़िल्म लगती है जिसमें बहुत कुछ अच्छा था, खासकर अभिनय। पर निर्देशक कहानी को दर्शकों तक पहुँचाने में शायद थोड़ी चूक गए, और तेज़ गति के समय में दर्शकों की धैर्य परीक्षा ले बैठे। यह फ़िल्म एक उदाहरण है कि सिर्फ़ अच्छी एक्टिंग ही काफ़ी नहीं, बल्कि कहानी को सही रफ्तार और तरीके से सुनाना भी बहुत ज़रूरी है। अगर आप फ़िल्मों में धीमी गति वाली कहानियाँ पसंद करते हैं और दमदार एक्टिंग देखना चाहते हैं, तो 'कांथा' आपको पसंद आ सकती है, पर तेज़ी चाहने वाले दर्शकों को शायद निराशा होगी।
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