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Up Kiran, Digital Desk: सिनेमा की दुनिया बाहर से जितनी चकाचौंध भरी दिखती है, अंदर से उतनी ही बेरहम भी है। इसका एक और दर्दनाक उदाहरण सामने आया है, जिसे सुनकर किसी का भी दिल पसीज जाएगा। 85 साल के दिग्गज अभिनेता सुधीर दलवी, जिन्हें आज भी करोड़ों लोग पर्दे पर निभाए गए उनके साईं बाबा के किरदार की वजह से पूजते हैं, आज अस्पताल में भर्ती हैं और गंभीर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।

उनकी इस हालत की खबर जब ऋषि कपूर और नीतू कपूर की बेटी रिद्धिमा कपूर साहनी तक पहुंची, तो उन्होंने फौरन मदद का हाथ आगे बढ़ाया है।

कौन हैं सुधीर दलवी? वो चेहरा जो 'साईं बाबा' बन गया

नई पीढ़ी शायद उन्हें नाम से न पहचाने, लेकिन उनका चेहरा हर किसी के दिल में बसा हुआ है। सुधीर दलवी वो अभिनेता हैं, जिन्होंने 1977 की क्लासिक फिल्म 'शिर्डी के साईं बाबा' में साईं बाबा का किरदार निभाया था। उन्होंने इस रोल को इतनी शिद्दत से जिया था कि लोग सच में उन्हें साईं बाबा का रूप मानने लगे थे और उनके पोस्टर घरों में लगाकर पूजते थे। इसके अलावा, उन्होंने रामानंद सागर की 'रामायण' में गुरु वशिष्ठ और टीवी के सुपरहिट शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में 'बा' के सबसे बड़े बेटे का यादगार किरदार भी निभाया था।

अस्पताल में भर्ती, इलाज के लिए नहीं हैं पैसे

पिछले कई सालों से गुमनामी की जिंदगी जी रहे सुधीर दलवी को हाल ही में तबीयत बिगड़ने के बाद मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उनकी उम्र और बीमारियों के चलते उनके इलाज का खर्च बहुत ज़्यादा आ रहा है। दुख की बात यह है कि जिस कलाकार ने सालों तक इंडस्ट्री की सेवा की, आज उसके पास अपने इलाज के लिए भी पैसे नहीं हैं।

उनकी इस दयनीय हालत की जानकारी जब सोशल मीडिया के जरिए सामने आई, तो कई लोग भावुक हो गए।

फरिश्ता बनकर आगे आईं रिद्धिमा कपूर साहनी

इसी दौरान, ऋषि कपूर और नीतू कपूर की बेटी और रणबीर कपूर की बहन, रिद्धिमा कपूर साहनी, एक फरिश्ते की तरह आगे आईं। उन्होंने सोशल मीडिया पर सुधीर दलवी के लिए चिंता जताई और उनकी हर संभव आर्थिक मदद करने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि वह इस मुश्किल घड़ी में दलवी जी के परिवार के साथ हैं और उनकी टीम जल्द ही उनसे संपर्क करेगी।

रिद्धिमा के इस कदम की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। यह घटना एक बार फिर हमें याद दिलाती  कि हमें अपने उन कलाकारों को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने हमें सालों तक मनोरंजन किया है, खासकर तब, जब वे अपनी जिंदगी के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे हों।