
Up Kiran, Digital Desk: अगर आपका खाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में है और आपने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करवा रखी है, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। SBI ने कुछ चुनिंदा अवधियों (tenors) की फिक्स्ड डिपॉजिट ब्याज दरों में कटौती की घोषणा की है। ये नई दरें 15 जुलाई से लागू हो चुकी हैं। इसका मतलब है कि अब आपको कुछ एफडी पर पहले से कम ब्याज मिलेगा।
किन अवधियों पर पड़ा असर? SBI ने मुख्य रूप से कम समय की (Short-term) से मध्यम समय की (Medium-term) एफडी दरों में बदलाव किया है। ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या अपनी शाखा से नवीनतम ब्याज दरों की जानकारी प्राप्त करें।
यह बदलाव क्यों होता है?
बैंक अक्सर ब्याज दरों में बदलाव करते रहते हैं। इसके कई कारण होते हैं:
RBI की नीति: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति और रेपो रेट में बदलाव का असर बैंकों की ब्याज दरों पर पड़ता है।
बाजार की स्थिति: बाजार में नकदी (liquidity) की स्थिति और ऋण (loan) की मांग भी ब्याज दरों को प्रभावित करती है। अगर बैंक के पास पर्याप्त नकदी है और ऋण की मांग कम है, तो वे एफडी दरें घटा सकते हैं।
आर्थिक स्थिति: देश की समग्र आर्थिक स्थिति और महंगाई दर भी ब्याज दरों के निर्धारण में भूमिका निभाती है।
आपके लिए क्या मतलब है? जिन ग्राहकों ने इन अवधियों में एफडी करवा रखी है या करवाने की सोच रहे हैं, उन्हें अब कम रिटर्न मिलेगा। हालांकि, जिन लोगों ने पहले ही एफडी करवा ली है, उनकी ब्याज दरें आमतौर पर मैच्योरिटी तक वही रहती हैं जो उस समय लागू थीं, जब उन्होंने निवेश किया था। यह नई दरें उन नई एफडी या रिन्यू की जाने वाली एफडी पर लागू होंगी।
आगे क्या करें निवेशक? निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे सिर्फ एफडी ही नहीं, बल्कि अन्य निवेश विकल्पों (जैसे इक्विटी, डेट फंड्स, म्यूचुअल फंड्स) पर भी विचार करें, ताकि वे अपनी वित्तीय लक्ष्यों के हिसाब से बेहतर रिटर्न पा सकें। हमेशा अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना समझदारी है।
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