img

Up Kiran, Digital Desk: प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत रे के प्रशंसकों और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। बांग्लादेश के मैमनसिंह (Mymensingh) जिले में स्थित उनके पैतृक घर को ध्वस्त कर दिया गया है। यह घटना तब हुई है जब बांग्लादेश सरकार ने इस इमारत को एक "संरक्षित विरासत स्थल" घोषित कर रखा था। इसके बावजूद, मैमनसिंह के एमआरआई (MRI) विद्या मंदिर स्कूल के अधिकारियों ने कथित तौर पर एक नई स्कूल इमारत बनाने के लिए इस ऐतिहासिक और भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण इमारत को तोड़ दिया है।

यह केवल एक पुराना ढांचा नहीं था, बल्कि महान फिल्मकार सत्यजीत रे और उनके परिवार की समृद्ध विरासत से गहराई से जुड़ा था। यह वही घर था जहाँ सत्यजीत रे के दादा, प्रसिद्ध लेखक, चित्रकार और संगीतकार उपेंद्रकिशोर राय चौधरी रहते थे। इस घर ने बांग्ला साहित्य और कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि रे परिवार की कई पीढ़ियाँ यहीं पली-बढ़ीं।

इस विध्वंस पर भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के सांस्कृतिक कार्यकर्ता, इतिहासकार और फिल्म प्रेमी गहरे सदमे और गुस्से में हैं। उन्होंने इस कदम को 'घोर लापरवाही' और 'सांस्कृतिक बर्बरता' बताया है। उनका कहना है कि एक बार जब किसी इमारत को विरासत स्थल घोषित कर दिया जाता है, तो उसे हर कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए। ऐसी ऐतिहासिक इमारतों को ध्वस्त करना, एक देश के इतिहास और उसकी सांस्कृतिक पहचान को मिटाने जैसा है।

बांग्लादेश सरकार ने इसे संरक्षित घोषित किया था, लेकिन इसे बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए, जिसका नतीजा आज यह विनाश है। यह घटना दुनियाभर में विरासत स्थलों के संरक्षण की चुनौती को उजागर करती है, खासकर तब जब शहरी विकास और वाणिज्यिक हितों को सांस्कृतिक मूल्यों पर वरीयता दी जाती है। सत्यजीत रे जैसे वैश्विक आइकन से जुड़ी ऐसी ऐतिहासिक धरोहर का नष्ट होना एक सांस्कृतिक क्षति है जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।

--Advertisement--