Up Kiran, Digital Desk: सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुआ एक रक्षा समझौता मध्य पूर्व की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकता है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब इस क्षेत्र में तनाव अपने चरम पर है। एक तरफ इज़राइल और ईरान के बीच टकराव की स्थिति है तो दूसरी तरफ अमेरिका के घटते प्रभाव को लेकर भी खाड़ी देशों में चिंता बनी हुई है।
क्या है यह रक्षा समझौता: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की रियाद यात्रा के दौरान इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने यह तय किया है कि किसी एक पर हमला दोनों पर हमला माना जाएगा।यह एक बड़ी बात है, क्योंकि पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति है और सऊदी अरब इस्लाम के दो सबसे पवित्र स्थलों का संरक्षक है। दोनों देशों के बीच लगभग आठ दशकों से गहरे संबंध रहे हैं, लेकिन यह समझौता उनके रिश्ते को एक नई सामरिक ऊंचाई पर ले जाता है
इस समझौते के बाद, दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, रक्षा उत्पादन और सऊदी अरब में पाकिस्तानी सैनिकों की संभावित तैनाती के नए रास्ते खुल सकते हैं।
इस समझौते की आज के समय में क्या अहमियत है?
यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब खाड़ी के देश अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं। इज़राइल द्वारा गाजा और दूसरे पड़ोसी देशों में किए गए हमलों ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।खाड़ी के देशों को अब यह महसूस होने लगा है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकते। यही कारण है कि वे पाकिस्तान, मिस्र और तुर्की जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों की ओर देख रहे हैं।
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