Up Kiran, Digital Desk: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ एक बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के कई संकेतकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के अनुसार, जोशी ने प्रति व्यक्ति जीडीपी और बढ़ती आय असमानता जैसे मुद्दों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि किसी भी देश का एकमात्र लक्ष्य सिर्फ आर्थिक विकास नहीं हो सकता।
यह बैठक दिल्ली में संघ के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला से एक हफ्ते पहले हुई थी। इस बैठक में आर्थिक क्षेत्र में काम कर रहे संघ के छह संगठनों के करीब 80 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनके सामने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर स्लाइड दिखाई गईं।
एक तरफ जहां सरकार भारत के दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का जश्न मना रही है, वहीं जोशी ने अपनी प्रेजेंटेशन में देश में बढ़ती आय असमानता और भारत की कमजोर प्रति व्यक्ति जीडीपी पर ध्यान खींचा। उन्होंने 'डीग्रोथ' (Degrowth) का एक नया विचार भी पेश किया, जिसका मतलब है "सार्वजनिक चर्चा को केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित रखने की बजाय, इसे एक सामाजिक उद्देश्य के रूप में खत्म करने की दिशा में काम करना।"
इस बैठक में जोशी का यह रुख काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह सरकार के आर्थिक विकास के दावों से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश करता है।
दिल्ली में हुई तीन दिवसीय प्रांत प्रचारक बैठक के दौरान, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने शताब्दी वर्ष समारोह, संगठनात्मक मुद्दों और भाषा विवाद, ऑपरेशन सिंदूर और मणिपुर में चल रहे संघर्ष जैसे समसामयिक विषयों पर भी चर्चा की। इस बैठक में सभी कार्यकर्ताओं को सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
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