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Up Kiran, Digital Desk: एशिया और दुनिया भर के करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों के लिए 28 सितंबर की तारीख सिर्फ एक फाइनल नहीं, बल्कि एक जंग है। दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम एक बार फिर गवाह बनेगा भारत और पाकिस्तान के बीच उस मुकाबले का, जो इतिहास, भावना, रणनीति और बदले की भावना से भरा होगा।

पिछली हारों का बदला लेना चाहेगा पाकिस्तान

पाकिस्तानी टीम पहले ही भारत से दो बार हार का सामना कर चुकी है – एक बार ग्रुप स्टेज में और दूसरी बार सुपर फोर में। दोनों बार भारतीय टीम ने आसानी से बाज़ी मारी। अब सलमान आगा और उनकी टीम के पास यह अंतिम मौका है खुद को साबित करने का।

सलमान ने साफ़ कहा है कि यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि इरादों की लड़ाई है। उन्होंने खिलाड़ियों से आक्रामक रवैया अपनाने की मांग की है, लेकिन सवाल यह है – क्या सिर्फ आक्रामकता काफी है?

भारतीय टीम का आत्मविश्वास और चुनौतियाँ

भारतीय खेमे में आत्मविश्वास चरम पर है। अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल की जोड़ी शुरुआती ओवरों में ही विपक्ष की कमर तोड़ सकती है। पिछले मैच में अभिषेक ने शाहीन अफरीदी की पहली गेंद पर ही छक्का लगाकर पाकिस्तान के मनोबल को तोड़ दिया था।

हालांकि, भारत के लिए चिंता का विषय है हार्दिक पांड्या की फिटनेस। उनकी ऐंठन ने टीम प्रबंधन की नींद उड़ा दी है। यदि वह पूरी तरह फिट नहीं हुए, तो गेंदबाजी आक्रमण पर असर पड़ सकता है।

रणनीति: स्पिन बनाम पेस

भारत की ताकत है उसकी गहराई – चाहे वो बल्लेबाज़ी हो या फिर स्पिन अटैक। वहीं, पाकिस्तान की उम्मीदें शाहीन अफरीदी और हारिस रऊफ़ की पेस पर टिकी हैं। वे जानते हैं कि अगर शुरूआत में ही भारतीय टॉप ऑर्डर को दबाव में डाला जाए, तो मैच की दिशा बदली जा सकती है।

सूर्यकुमार पर दारोमदार

टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव के लिए यह फाइनल बतौर लीडर एक अग्निपरीक्षा जैसा होगा। उनकी फॉर्म और बदलावों के बावजूद उनका आत्मबल टीम के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। यह मैच उनके नेतृत्व कौशल की असली परीक्षा होगी।