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Up Kiran, Digital Desk: कैलिफोर्निया में रहने वाले भारतीय मूल के कारोबारी और खालिस्तान विरोधी एक्टिविस्ट सुखी चहल की अचानक और संदिग्ध परिस्थिति में मौत ने विदेश में रह रहे भारतीय समुदाय को सकते में डाल दिया है। लंबे समय तक खालिस्तान समर्थक गुटों के खिलाफ खुलकर आवाज उठाने वाले सुखी का निधन न केवल उनके करीबी मित्रों और समर्थकों के लिए बड़ा झटका है, बल्कि इससे राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं।

अमेरिका में सक्रिय रहते हुए सुखी चहल ने खालिस्तान समर्थक संगठनों को लगातार चुनौती दी और उनके एजेंडों का विरोध करते हुए भारतीय एकता पर जोर दिया। वॉशिंगटन डीसी में 17 अगस्त को प्रस्तावित खालिस्तान जनमत संग्रह को लेकर उनकी मौत ने इस संवेदनशील मामले को और जटिल बना दिया है। इस घटना से अमेरिकी और भारतीय दोनों पक्षों में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

करीबी मित्र जसपाल सिंह के अनुसार, सुखी को शनिवार को एक परिचित ने डिनर पर आमंत्रित किया था। खाना खाने के बाद उनकी तबियत अचानक बिगड़ी और वे मौके पर ही चल बसे। सुखी को पहले से कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या नहीं थी, जिसके कारण उनकी मौत को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। सुखी के साथी बूटा सिंह कलेर ने भी कहा है कि उनकी मौत से भारत समर्थक समुदाय में गहरा शोक छा गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस जांच कर रही है और जल्द ही ऑटोप्सी रिपोर्ट से मौत के कारण स्पष्ट हो जाएंगे।

सुखी चहल की हमेशा यही सलाह रहती थी कि विदेश में रहना हो तो वहां के कानूनों का सम्मान करना अनिवार्य है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर यह भी कहा था कि अमेरिका में कानून बहुत सख्त हैं और नियम तोड़ने पर वीजा रद्द होने की नौबत आ सकती है, जिससे वापस लौटना पड़ता है। यह संदेश उनके समर्पित प्रयासों का हिस्सा था, जिससे वे समुदाय को सही राह दिखाना चाहते थे।