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Up Kiran, Digital Desk:  भारत में छोटे और मझोले उद्योगों (MSMEs) को बढ़ावा देने और 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को और बेहतर बनाने के लिए एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) ने एक बेहद महत्वपूर्ण सुझाव दिया है. एसोचैम का कहना है कि राज्यों को MSMEs के लिए एक ऐसा 'सिंगल विंडो क्लीयरेंस' सिस्टम बनाना चाहिए जो पूरी तरह से टाइम-बाउंड यानी समयबद्ध हो.

इसका सीधा मतलब यह है कि छोटे उद्यमियों को अपना बिजनेस शुरू करने या उसे बढ़ाने के लिए दर्जनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्हें बस एक ही ऑनलाइन पोर्टल या ऑफिस में अप्लाई करना होगा, और एक तय समय-सीमा के अंदर उन्हें सारी जरूरी मंजूरियां और लाइसेंस मिल जाएंगे.

क्या है मौजूदा समस्या और क्यों जरूरी है यह बदलाव?

अभी हालत यह है कि एक छोटा उद्योग शुरू करने के लिए उद्यमी को फैक्ट्री लगाने से लेकर बिजली कनेक्शन, पानी, प्रदूषण नियंत्रण और न जाने कितने तरह के लाइसेंस के लिए अलग-अलग विभागों में जाना पड़ता है. इस प्रक्रिया में महीनों, और कभी-कभी सालों लग जाते हैं, जिससे न सिर्फ उद्यमी का समय और पैसा बर्बाद होता है, बल्कि कई बार तो वे परेशान होकर बिजनेस शुरू करने का आइडिया ही छोड़ देते हैं.

एसोचैम का सुझाव क्या है?

एसोचैम का मानना है कि राज्यों को एक ऐसा 'वन-स्टॉप शॉप' बनाना चाहिए जहां MSME से जुड़े सभी विभागों को एक ही छत के नीचे लाया जाए.

तय समय-सीमा: हर तरह की मंजूरी के लिए एक निश्चित समय-सीमा तय होनी चाहिए. उदाहरण के लिए, अगर प्रदूषण क्लीयरेंस के लिए 30 दिन का समय तय है, तो उस विभाग को 30 दिन के अंदर हां या ना में जवाब देना ही होगा.

डीम्ड अप्रूवल: अगर कोई विभाग तय समय-सीमा के अंदर कोई जवाब नहीं देता है, तो उस एप्लीकेशन को अपने-आप मंजूर ('डीम्ड अप्रूवल') मान लिया जाना चाहिए. यह अफसरों की सुस्ती और लालफीताशाही पर सबसे बड़ी लगाम होगी.

पूरी तरह ऑनलाइन: यह पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होनी चाहिए ताकि पारदर्शिता बनी रहे और भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश न बचे.

क्या होगा इसका फायदा?

उद्यमियों का बचेगा समय और पैसा: उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.

व्यापार करना होगा आसान: इससे देश में नए बिजनेस शुरू करने का माहौल बनेगा.

भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम: जब सब कुछ ऑनलाइन और टाइम-बाउंड होगा तो अफसर अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे.

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे: जब ज्यादा छोटे उद्योग लगेंगे तो स्वाभाविक रूप से देश में रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे.

यह सुझाव उस वक्त आया है जब भारत दुनिया में एक बड़ी मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में, छोटे उद्योगों के रास्ते में आने वाली इन रुकावटों को दूर करना देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है.