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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के अररिया जिले में किसानों की मेहनत को इस बार मौसम की मार ने निगल लिया। रुक-रुक कर हो रही बारिश, तेज हवाएं और बिन बुलाए आए तूफान ने उन मक्का किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं, जिनकी आजीविका सालों से इसी फसल पर निर्भर रही है। खेतों में खड़ी और तैयार मक्का फसल अब पानी में सड़ रही है, और किसान लाचार होकर आसमान की ओर देख रहे हैं — शायद कोई राहत की उम्मीद लिए।
बारिश बनी बर्बादी की वजह
अररिया के हलहलिया, लहसुनगंज, समौल मझुआ, सैफगंज, शंकरपुर, तिरसकुंड और रमई जैसे गांवों में बीते कई दिनों से हो रही बारिश ने हजारों किसानों को संकट में डाल दिया है। तेज हवाओं के साथ लगातार हो रही झमाझम बारिश ने खेतों में खड़ी मक्का की फसल को गिरा दिया है। वहीं जिन किसानों ने मक्के की फसल तोड़ ली थी, वे भी उसे बारिश से नहीं बचा सके – खेत में पड़े मक्के भीगकर सड़ने लगे हैं।
सूद पर लिया कर्ज, अब कर्जदार बनने का डर
अनेक किसानों ने अपनी मक्का फसल को तैयार करने के लिए सूद पर पैसा उधार लिया था। बीज से लेकर खाद, मजदूरी से लेकर सिंचाई तक – हर काम के लिए उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई और उधार का सहारा लिया। लेकिन अब जब फसल बिकने की स्थिति में थी, तब बारिश ने उनकी कमर तोड़ दी। अब क्या करेंगे, घर कैसे चलेगा? बच्चों की फीस, उधारी कैसे चुकाएंगे। ऐसे सवाल हर गांव की चौपाल में गूंज रहे हैं।
खेतों में जलजमाव, फसलें सड़ने लगीं
किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि खेतों में पानी भर चुका है। मक्का की फसल न केवल जमीन पर गिर गई है बल्कि लगातार पानी में भीगने से सड़ भी रही है। यदि पानी जल्द नहीं निकाला गया तो बर्बादी और भी बड़ी हो सकती है।
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