img

आज सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitri Amavasya) है। आज श्राद्ध पक्ष का आखिरी दिन है। 15 दिन श्राद्ध कर्म करने के बाद आज दिवंगत पूर्वजों को विदा किया जाता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने से उन्हें तृप्ति मिलती है। इस बार 29 सितंबर को पितृ पक्ष या कहें श्राद्ध पक्ष शुरू हो गए थे। यह पवित्र दिन अपने पूर्वजों को याद करने के लिए होते हैं। 

कहा जाता है कि यमलोक से पितृ 15 दिनों के लिए पृथ्वी लोक पर आते हैं और यहीं से वे अपने लोगों पर कृपा बरसाते हैं। पितृ पक्ष का आखिरी दिन बहुत ही खास होता है। क्योंकि इस दिन पितर अपने लोक वापस जाते हैं और ऐसे में विधि-विधान से उनका तर्पण करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह प्रसन्न होकर अपने धाम वापस जाते हैं। सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitri Amavasya) पर परिवार के उन मृतक परिजनों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि हम भूल चुके हों या फिर जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो। इसे पितरों की विदाई का समय भी माना जाता है। 

ज्योतिर्विदों के मुताबिक, पितरों के तर्पण और दान से घर में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। सर्व पितृ अमावस्या (Sarvapitri Amavasya) पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है। इसे विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता है। अश्विन मास की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। सर्व पितर अमावस्या के श्राद्ध का समय 14 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू है, जो दोपहर 03 बजकर 35 मिनट तक रहेगा। इस दिन कुतुप मूहूर्त 46 मिनट, रौहिण मूहूर्त 46 मिनट और अपराह्न काल 02 घंटा 18 मिनट का होगा। सर्व पितृ अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि ऐसा संभव न हो तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद तर्पण, पिंडदान करें। इसके बाद ब्राह्मण को विधि पूर्वक भोजन कराएं। 

सर्वपितृ अमावस्‍या (Sarvapitri Amavasya) के भोग में खीर पूड़ी जरूर बनानी चाहिए। भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करें। ऐसा करने से हमारे पितृ तृप्त होकर पितृलोक को लौटते हैं। इसी के साथ पितृपक्ष का समापन हो जाता है। 15 अक्टूबर से नवरात्रि भी प्रारंभ हो रही है। नवरात्रि में सभी 9 दिन शुभ माने जाते हैं। ‌

--Advertisement--